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दबाव की वजह से विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे राज्यपाल- कहकर विधायकों संग राजभवन को निकले CM गहलोत
Last Updated on July 24, 2020 by Deepak
जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में जारी सियासी उठापटक के दौर के बीच सचिन पायलट (Sachin Pilot) गुट को राजस्थान की हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) एक अलग समस्या से घिरे नजर आ रहे है। दरअसल सीएम गहलोत का कहना है कि वो विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। गहलोत ने मीडिया के सामने आकर राज्यपाल पर आरोप लगाए हैं कि वह ऊपर से दबाव की वजह से विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं।
राज्यपाल ने अभी तक नहीं दिया है कोई भी बयान
बहुमत होने का दावा करते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि अगर राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तो जनता राजभवन का घेराव कर सकती है। ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। वहीं पत्रकारों संग बातचीत के दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि एक तरफ तो विपक्ष की तरफ से भी मांग की जा रही थी कि फ्लोर पर क्यों नहीं आ रहे हैं। राजस्थान की जनता देख रही है कि क्या हो रहा है। दुख इस बात है कि गवर्नर साहब ने अभी तक फैसला नहीं किया है। अभी फिर उनसे फोन पर बात नहीं हुई है। आपके पद की गरिमा बनाएं रखें। हमारे सभी विधायक उनसे जाकर मांग करेंगे। विधानसभा के पटल पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बता दें कि राज्यपाल ने अभीतक विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर कोई बयान नहीं दिया है।
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तीन बसों में विधायकों संग राजभवन को निकले गहलोत
गहलोत ने कहा कि वह अपने विधायकों को लेकर राजभवन जा रहे हैं। सभी मिलकर राज्यपाल से अपील करेंगे कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। वहीं, मीडिया से बातचीत के बाद सीएम अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायकों को तीन बसों में भरकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने निकल गए हैं। जानकार अशोक गहलोत के इस कदम को राज्यपाल पर दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं। जानकार इसे राजनीतिक लड़ाई मान रहे हैं। गौरतलब है कि गहलोत सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं करना चाहते हैं और इससे पहले ही तुरंत सत्र बुलाकर अपनी सरकार को सेफ कर लेना चाहते हैं। संविधान के जानकारों के मुताबिक पारंपरिक तौर पर राज्यपाल सत्र के लिए सात दिन का नोटिस देते हैं, लेकिन मंत्रिमंडल की सिफारिश पर वह सत्र को तुरंत भी बुला सकते हैं।