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शिमला। हिमाचल प्रदेश में धारा 118 में कोई परिवर्तन नहीं होगा। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने आज प्रदेश विधानसभा में नियम 62 के तहत कांग्रेस विधयक विक्रमादित्य सिंह (Congress MLA Vikramaditya Singh) द्वारा लाए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कहा कि कांग्रेस को धारा 118 (Section 118) को लेकर वहम हो गया है और उसे इससे बाहर आने की जरूरत है, क्योंकि वहम का कोई इलाज नहीं है।
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने धारा 118 में परिवर्तन को लेकर प्रदेश में शंका का माहौल पैदा कर दिया है। उन्होंने आशंका जताई कि इसका असर प्रदेश सरकार की नवंबर में प्रस्तावित इनवेस्टर मीट (Investor Meat) पर भी पड़ सकता है, जो प्रदेश के विकास के लिए सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने भी अपने शासनकाल में औद्योगिक निवेश (Industrial investment) का प्रयास किया था, लेकिन इसमें वह सफल नहीं हुई और अब जब मौजूदा सरकार निवेश की दिशा में बढ़ रही है तो कांग्रेस को इससे ईर्ष्या पैदा हो गई है और अड़ंगे डालने का प्रयास कर रही है।
जयराम ठाकुर ने विपक्ष से आग्रह किया कि वह ऐसी धारणा न बनने दें कि हिमाचल में निवेश सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि धारा 118 में न तो बदलाव की जरूरत है और न ही बदलाव करना चाहिए। इसके बावजूद कांग्रेस ने अपने विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में पांच बार धारा 118 में संशोधन किया है। उन्होंने कहा कि यदि सही मायने में धारा 118 में संशोधन हुआ है तो वह केवल कांग्रेस सरकारों के समय में हुआ है, न कि बीजेपी सरकारों के कार्यकाल में हुआ है। सीएम जयराम ठाकुर ने अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल और ओवैसी द्वारा संसद में यह मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि इन दोनों ही नेताओं को धारा 118 और 35ए को आपस में नहीं जोड़ना चाहिए था, क्योंकि ये दोनों धाराएं बिल्कुल अलग हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी राज्यों के लोग हिमाचल (Himachal) में कृषक नहीं बन सकते, लेकिन पूर्व अनुमति से मकान के लिए जमीन खरीद सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हितों की रक्षा सभी को मिलकर करनी होगी।
इससे पूर्व नियम 62 के तहत मामला उठाते हुए कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा 118 का हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार (Dr. YS Parmar) ने प्रदेश के जमीन को बाहरी राज्यों के लोगों के हाथों बिकने से बचाने के लिए लाया था और इसे यथावत रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि धारा 118 को कानून की नजर से देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश की देशभर में पहचान है। उन्होंने कहा कि धारा 118 को बचाए रखना और डॉ. परमार के पदचिन्हों पर चलना ही उन्हें असली श्रद्धांजलि होगी। विक्रमादित्य सिंह ने सुखबीर बादल और ओवैसी द्वारा लोकसभा में धारा 118 का मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि देश की बहुत बड़ी-बड़ी मछलियों की नजर हिमाचल की जमीनों पर है और इससे तभी बचा जा सकता है, जब हम धारा 118 से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को विश्वास में लिए बगैर उनके बारे में फैसला लेने की चल रही परंपरा को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
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