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शिमला। सीएम वीरभद्र सिंह के डॉक्टरों की हड़ताल को बेबुनियाद करार दिए जाने के कुछ देर बाद ही डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली है। आज सीएम वीरभद्र सिंह व चीफ सेकेट्री से मुलाकात के बाद हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (एचएमओए) ने हड़ताल को वापस ले लिया। हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (एचएमओए) ने सीएम वीरभद्र सिंह द्वारा मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के आश्वासन के पश्चात हड़ताल समाप्त की। एसोसिएशन ने मुख्य सचिव वीसी फारका के साथ बैठक में मामले पर विचार करने के पश्चात सीएम से आज यहां भेंट की। उन्होंने ड्यूटी के समय चिकित्सकों पर हमले या मारपीट की स्थिति में कार्रवाई करने की मांगों पर जोर डालते हुए कहा कि इस कृत्य को आगामी विधानसभा सत्र में अपराध घोषित करने पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कानून भी बनना चाहिए।
सीएम ने कैबिनेट में 4-9-14 की मांग को भी उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने खंड चिकित्सा अधिकारियों की पदोन्नति को समयावधि में सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने निवासी चिकित्सकों की आवास मांग संबंधित निर्देश भी दिए। राज्य अध्यक्ष डॉ. बलदेव ठाकुर के नेतृत्व में डॉ. जीवा नंद चौहान, महासचिव डॉ. पुष्पेन्द्र वर्मा ने तुरन्त हड़ताल बंद करने का निर्णय लिया। बता दें कि अपने कांगड़ा शीतकालीन सत्र के दूसरे चरण की समाप्ति के बाद शिमला पहुंचने पर आज सीएम ने पत्रकारों की बातचीत में डॉक्टरों की हड़ताल को बेबुनियाद करार दिया था। वहीं, पिछले कल स्वास्थ्य मंत्री ने भी तेबर कड़े करते हुए डॉक्टरों को हड़ताल वापस लेने के लिए कहा था। गौरतलब है कि मेडीपर्सन एक्ट की मांग को लेकर डॉक्टरों के सब्र का बांध टूटने गया था। मांगों को नहीं माने जाने पर 3 फरवरी से प्रदेश भर के डॉक्टरों ने 2 घंटे की पेनडाउन हड़ताल करने का निर्णय लिया था। इससे स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हो रही थीं। डॉक्टरों का आरोप था कि मेडीपर्सन एक्ट की मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है और केवल आश्वासन ही दिया जा रहा है। देश के 16 राज्यों में मेडीपर्सन एक्ट को लागू किया है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस सरकार के पास मांग रखने के बावजूद कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
बता दें कि सीएम वीरभद्र सिंह 2 फरवरी से लेकर 5 फरवरी तक कांगड़ा प्रवास पर थे। प्रवास के अंतिम दिन ज्वाली में पत्रकारों से पूछने पर सीएम ने इस बारे में अनभिज्ञता जताई थी। प्रवास समाप्त होने के बाद शिमला पहुंचते ही सीएम ने यह बयान दिया है। वहीं पिछले कल मंडी में स्वास्थ्य मंत्री ने भी डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी।
डॉक्टरों की पैन डाउन स्ट्राइक पर स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर का कहना है कि कुछ लोग नेतागिरी करने के लिए पैन डाउन स्ट्राइक का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने डॉक्टरों को सख्त लहजे में कहा है कि हड़ताल छोड़कर तुरंत काम पर वापस आओ, नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि हाईकोर्ट के आदेशों पर हड़ताल खत्म करनी पड़े। मंडी में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कौल सिंह ठाकुर ने सख्त लहजे में डॉक्टरों द्वारा की जा रही पैन डाउन स्ट्राइक को अकारण बताया। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार गंभीर है, लेकिन डॉक्टर अकारण ही पैन डाउन स्ट्राइक पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए गैर जमानती कानून बना दिया गया है और अब इसे बजट सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाएगा। कौल सिंह ठाकुर के अनुसार विधानसभा से मंजूरी मिलते ही इस कानून को मूर्तरूप दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को यह सोचना चाहिए कि मरीज उनके लिए वीआईपी है न कि मरीजों को ऐसी हालत में छोड़कर पैन डाउन स्ट्राइक की जानी चाहिए। कौल सिंह ठाकुर ने डॉक्टरों से हड़ताल को समाप्त करके दोबारा से अपनी सेवाओं को जारी करने की अपील की है।
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