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वाराणसी। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) और पुरातत्व विभाग (Archeology department) के मुताबिक, वाराणसी के बभनियांव गांव में करीब 3500 वर्ष पुरानी सभ्यता की पुष्टि हुई है और खुदाई में गुप्तकालीन सामुदायिक चूल्हा, कुषाणकालीन फर्श, टोटीदार बर्तन, धान की जली भूसी और पालतू पशुओं के जबड़े-हड्डियां आदि मिलीं हैं। पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक, यहां पर करीब 1800 साल पुराने भगवान शिव के मंदिर का स्वरूप भी मिला है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस इलाके में उत्खनन का काम कराने का फैसला लिया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक किए हुए उत्खनन में तीनों ट्रेंच को मिलाकर गुप्तकालीन सामुदायिक चूल्हा, कुषाणकालीन फर्श, लाल लेपित मृदभांड, गुलाब पाश, टोटीदार बर्तन, धान की जली भूसी, पालतू पशुओं के जबड़े व जली हड्डियां आदि मिलीं हैं। वहीं आरंभिक उत्खनन में मुखाकृति वाला जटाधारी शिवलिंग, मिट्टी की भट्टी, चौथी-पांचवीं शताब्दी का लोढ़ा, लौह धातु, मल व मिट्टी के प्राचीन बर्तन व घड़े, मृद स्तंभ, खिलौने, मिट्टी के रेशेदार ठोस टुकड़े, पूजा कलश व उसका ढक्कन आदि मिले थे। वहीं स्थानीय लोगों को इसकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं बता पाता है। प्रतिमा को डीह बाबा का मंदिर मानकर लोग यहां पूजा-अर्चना करते हैं। उनका कहना है कि अभी जो शिल्प ग्राम की संभावना जतायी जा रही है, वह जरूर सही होगी।
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