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Congress allegations : शिमला। प्रदेश में माफिया राज के आरोप पर कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी नेता अनावश्यक तौर पर इस मामले को हवा दे रहे हैं, ताकि वे राजनीतिक लाभ ले सकें। लेकिन वास्तविकता यह है कि प्रदेश में इस तरह की कोई स्थिति नहीं है। प्रदेश में नशे के व्यापार से संबंधि आरोप पूर्णतः निराधार हैं और राज्य सरकार नशाखोरी पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठा रही है। इसके लिए सरकारी स्तर पर विशेष प्रावधान किए गए हैं तथा पुलिस और ड्रग्स विभाग द्वारा नियमित रूप से निरीक्षण किए जा रहे हैं।
अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष चौधरी चंद्र कुमार, राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर, 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वय समिति के अध्यक्ष राम लाल ठाकुर व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्य के बीजेपी नेताओं को अगाह किया कि वे चुनावी वर्ष में दूसरी राजधानी, नशा व माफिया राज को लेकर अनाप-शनाप व तथ्यहीन बयानबाजी कर वर्तमान सरकार द्वारा गत चार वर्षों के दौरान किए गए चहुंमुखी विकास से राज्य की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश न करें, क्योंकि प्रदेश की जनता पढ़ी-लिखी है और भले-बुरे को अच्छी तरह से समझती है। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि सीएम वीरभद्र सिंह द्वारा धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाने की घोषणा तथा इसके उपरांत राज्य मंत्रिमंडल द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान कर इसकी अधिसूचना जारी होने से बीजेपी नेता बुरी तरह बौखला गए हैं तथा नेता प्रतिपक्ष सहित आए दिन समाचार पत्रों में बेबुनियाद बयान दे रहे हैं।
धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी घोषित करने का प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य राज्य के निचले क्षेत्रों के लोगों को उनके घरद्वार पर प्रशासन उपलब्ध करवाना है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को राज्य की दूसरी राजधानी बनाने के पीछे सीएम की केवल यही मंशा रही है कि चंबा, कांगड़ा, ऊना व हमीरपुर जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों को अपने शासकीय व प्रशासकीय कार्यों के लिए शिमला न आना पड़े। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि सीएम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिमला से कोई भी कार्यालय धर्मशाला स्थानांतरित नहीं किया जाएगा और न ही यहां से स्टॉफ का वहां तबादला किया जाएगा, बल्कि इसके लिए अलग से अधोसंरचना विकसित की जाएगी। धर्मशाला में मिनी सचिवालय को सामान्य प्रशासन विभाग के तहत लाया गया है, ताकि सरकार के मंत्रिगण व उच्च अधिकारी वहां बैठ कर प्रशासन चला सकें।
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