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गफूर खान/ धर्मशाला। जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र में 2012 के विधानसभा चुनावों में जिस तरह घमासान मचा था उसी तरह के आसार आगामी चुनावों में भी देखने को मिल सकते हैं। इस बार कांग्रेस के लिए यहां राहत दिख रही है तो वहीं बीजेपी के लिए हालात पहले जैसे रहने के पूरे आसार हैं।
हाथ का आशीर्वाद यादविंद्र गोमा पर साफ़ दिख रहा है तो कमल की हर पंखुड़ी पर एक संभावित प्रत्याशी अपनी नजर टिकाए हुए है। पिछले विधानसभा चुनावों में जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के दावेदारों की दोनों ही पार्टियों में कमी नहीं थी। अब गोमा सरकार और संगठन दोनों का आशीर्वाद लेकर इकलौते कांग्रेस के चेहरे बनकर रह गए हैं तो बीजेपी में टिकट के तलबगारों की लिस्ट और लंबी हुई है।
2012 में बीजेपी को अपने ही बागी भारी पड़े थे और बीजेपी की नैया डुबोने का सबसे ज्यादा श्रेय आजाद प्रत्याशी के तौर पर लड़े रवि धीमान को जाता है। धीमान की पार्टी में वापसी हो चुकी है और वह पिछले चुनावों में अपने प्रदर्शन के दम पर यहां से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। मंडल महामंत्री हेमराज और एससी मोर्चा पदाधिकारी गिरधारी सिंह भी टिकट हासिल करने के लिए गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं। बलदेव राज खोदलू को भी टिकट हासिल करने की इन कोशिशों में कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जयसिंहपुर से कैप्टन आत्मा राम के राजनीतिक तौर पर रिटायर होने के बाद उनकी बहू मीना देवी भी बीजेपी की टिकट पर दावेदारी जता रही हैं। मीना देवी जिला परिषद सदस्य हैं। बीजेपी की टिकट की चाहवान जिला परिषद सदस्य मीना देवी ही नहीं हैं।
तीसरी बार जिला परिषद सदस्य चुनी गई विद्या देवी और दूसरी बार जिला परिषद सदस्य चुनी गई स्कीमा धीमान भी जिला परिषद सदस्य से विधानसभा सदस्य का सफर तय करने की तैयारी कर रही हैं। बीजेपी की टिकट के चाहवानों में अजय कबीर और मनजीत डोगरा भी जुड़ गए हैं जो यहां समीकरण और उलझा सकते हैं। कुल मिलाकर बीजेपी में टिकट के दावेदारों की फौज बढ़ी है। अब यह तो पार्टी तय करेगी कि टिकट किसे मिलेगा, लेकिन उससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह रहेगी कि जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा वह कौन सी राह अख्तियार करेंगे। यदि टिकट कटने वाले पार्टी के साथ चले तब तो मुकाबला कांग्रेस बनाम बीजेपी होगा अन्यथा पिछले चुनावों की तरह बीजेपी बनाम बीजेपी की जंग होगी और कांग्रेस आसानी से अपना सफर तय करेगी।
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