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Congress के हाथों से निकली पुडुचेरी की सत्ता, सीएम नारायणसामी ने दिया इस्तीफा
Last Updated on February 22, 2021 by Deepak
नई दिल्ली। दक्षिण भारत के एकलौते केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी की सत्ता भी कांग्रेस के हाथों से चली गई है। पुडुचेरी में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आई नारायणसामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-डीएमके गठबंधन सरकार (Congress-DMK coalition government) विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सकी। सोमवार को स्पीकर ने ऐलान किया कि सरकार के पास बहुमत नहीं है और सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद वी नारायणसामी ने सीएम पद से इस्तीफा (Resignation) दे दिया है। उन्होंने कहा, ‘तीन नामित सदस्यों को विश्वास प्रस्ताव में कहीं भी मतदान का अधिकार नहीं है, मेरा संबोधन खत्म होने के बाद सरकार के व्हिप ने इस मुद्दे को उठाया, लेकिन अध्यक्ष इससे सहमत नहीं हुए। ये लोकतंत्र की हत्या है, ऐसा देश में कहीं नहीं होता। पुडुचेरी के लोग इन्हें सबक सिखाएंगे।’ अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या विपक्ष सरकार बनाता है या फिर पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा?
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22-02-2021 | Press byt at #Puducherry . pic.twitter.com/fh53Wdvg5J
— V.Narayanasamy (@VNarayanasami) February 22, 2021
बता दें कि कांग्रेस और डीएमके के एक-एक विधायकों ने रविवार को इस्तीफा दे दिया जबकि चार विधायक पहले ही साथ छोड़ चुके हैं। राज्य में कांग्रेस विधायकों के लगातार हो रहे इस्तीफे से वी नारायणसामी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार (UPA Government) अल्पमत में आ गई। पुडुचेरी के उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने विधानसभा में सोमवार शाम पांच बजे तक बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था, लेकिन उससे पहले ही सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई। सदन में चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि विधायकों को पार्टी के प्रति वफादार होना चाहिए, साथ ही उन्होंने पूर्व राज्यपाल और केंद्र सरकार पर विपक्ष के साथ साठगांठ करने का आरोप लगाया।
पुडुचेरी (Puducherry) में 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें आई थी, लेकिन पार्टी ने डीएमके और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाया था। लेकिन पांच साल के बाद कांग्रेस के एक-एक कर विधायकों के इस्तीफे से पार्टी का सियासी समीकरण पूरी तरह गड़बड़ा गया। रविवार को कांग्रेस के लक्ष्मीनारायणन और डीएमके के वेंकटेशन के इस्तीफा देने से सत्तारूढ़ गठबंधन समर्थक विधायकों की संख्या घटकर 12 हो गई जबकि विपक्ष के पास 14 विधायक हैं। राज्य की विधानसभा में कुल 33 सदस्य हैं, जिनमें 30 निर्वाचित और तीन मनोनीत सदस्य होते हैं। हालांकि, 5 कांग्रेस, 1 डीएमके विधायक के इस्तीफे और 1 विधायक के आयोग्य करार दिए जाने के बाद कुल 26 सदस्य हैं। ऐसे में नारायणसामी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 14 विधायकों के समर्थन की दरकार थी, लेकिन इस आंकड़े को हासिल नहीं कर सकी।