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अवमानना केस: प्रशांत भूषण ने नहीं मांगी माफी; SC ने फैसला सुरक्षित रख पूछा- क्या ‘माफी’ शब्द इतना बुरा है
Last Updated on August 25, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर जजों और न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के खिलाफ अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई खत्म हो गई है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने सजा नहीं देने की मांग की। इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण का ट्वीट अनुचित था। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
भूषण के बयानों और उनके स्पष्टीकरण को पढ़ना दुखदायक: कोर्ट
सजा को लेकर बहस के दौरान भी भूषण माफी न मांगने पर अड़े रहे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि माफी मांगने में गलत क्या है, क्या यह शब्द इतना बुरा है। इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से भूषण को भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ने का सुझाव दिया। दूसरी तरफ भूषण का पक्ष रख रहे राजीव धवन ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई मर्डर या चोरी नहीं की है लिहाजा उन्हें शहीद न बनाया जाए।
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सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भूषण के बयानों और उनके स्पष्टीकरण को पढ़ना दुखदायक है। उन्होंने कहा, ‘प्रशांत भूषण जैसे 30 साल अनुभव वाले वरिष्ठ वकील को इस तरीके से व्यवहार नहीं करना चाहिए। मैंने वकीलों को पेंडिंग केसों में प्रेस में जाने को लेकर फटकार भी लगाई है। कोर्ट के एक अधिकारी और राजनीतिज्ञ में अंतर है। प्रेस में जाना, प्रशांत भूषण जैसे वकीलों के ट्वीट में वजन होना चाहिए। यह लोगों को प्रभावित करता है।’
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर पर न्यायाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी के लिए 14 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराया था। प्रशांत भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी।