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तीसरी लहर की आहट: यूरेशिया फिर बना कोरोना का ऐपिक सेंटर, हमें बचने के लिए अगले तीन महीने सावधानी बरतनी होगी
Last Updated on November 8, 2021 by saroj patrwal
नई दिल्ली। दुनिया (World) को कोरोना एक बार फिर डराने लगा है। यूरोप और अमेरिका में लगातार केस बढ़ रहे हैं। रूस की हालत भी गंभीर है। चीन तो कोविड जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करना शुरू कर चुका है। इधर, उसके पड़ोसी रूस ने भी 7 नवंबर तक नॉन-वर्किंग डे डिक्लेयर कर दिया है। पार्क, थियेटर और मॉल्स सब बंद कर दिए हैं। बिना वजह घर से बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी है।
अमेरिका के भी 50 में से 17 राज्यों में कोरोना केसे बढ़ गए हैं। अगले दो महीने दुनिया भर में कोरोना केस बढ़ने और तीसरी लहर आने के संकेत मिल रहे हैं। दुनिया भर में कोरोना केस को स्टडी करने पर विश्लेषक इसे भारत के चिंता की बात मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बीते दोनों कोरोना लहरों के दुनिया में दस्तक देने के बाद भारत में कोरोना की लहर की एंट्री ठीक दो महीने बाद हुई है।
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ठीक दो महीने बाद कोरोना केस
उदाहरण से समझिए, चीन से निकल कर दुनिया भर में जब कोरोना फैला, तो अमेरिका में कोरोना की पहली लहर जुलाई महीने में पीक पर थी। भारत में ठीक दो महीने बाद यानी सितंबर में कोरोना अपने चरम पर पहुंचा। देश में सितंबर महीने में एक दिन में रिकॉर्ड 90 हजार से अधिक कोरोना केस (Corona Case) दर्ज होने लगे। यही हाल कोरोना की दूसरी लहर का भी रहा। साल 2021 के शुरूआती महीनों में अमेरिका और यूरोप में कोरोना की दूसरी लहर दस्तक दे चुकी थी।
रोजाना अमेरिका से 2.5 लाख से अधिक कोरोना केस दर्ज हो रहे थे। मरने वालों का आंकड़ा भी प्रतिदिन 2000 से अधिक हो चला था। अमेरिका और यूरोपीय देशों में कोरोना के इस विक्राल रूप का असर भारत में ठीक दो महीने बाद यानी अप्रैल महीने में दिखाई देना शुरू हुआ। अप्रैल और मई महीने के 15 तारीख तक भारत में कोरोना केस प्रतिदिन 3 लाख से ऊपर आकंड़ा छूने लगे। इस लहर में मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ।
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WHO ने तीसरी लहर को लेकर किया आगाह
अब यूनाइटेड नेशन (United Nation) की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ (WHO) ने दुनिया भर को एक बार फिर तीसरी लहर को लेकर आगाह किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यूरोप और मध्य एशियाई देश कोरोना के एपिक सेंटर (Epic Center) बने हुए हैं। डब्लूएचओ के एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में कोरोना के मामले बीते कुछ दिनों में 55 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इधर, चिंता की बात भारत (India) के लिए भी है।
कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) के कारण अब भारत से यूरोप के कई शहरों के लिए सीधी उड़ानें शुरू हो चुकी हैं। वहीं, भारत में फेस्टिवल सीजन (Festival Seasion) चल रहा है। दिवाली और महापर्व छठ को लेकर लाखों लोग एक जगह से दूसरे जगह जा रहे हैं। साथ ही वैक्सीनेशन के चलते लोगों ने लापरवाही बरतनी भी शुरू कर दी है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड प्रोटोकॉल के पालन में भी लापरवाही साफ देखी जा रही है। अगर इसी तरह हालात रहे तो भारत में भी कोरोना के केसेस बढ़ सकते हैं।
बीते एक महीने में 55 प्रतिशत तक बढ़े केस
यूरोप में पिछले 4 हफ्तों में नए कोरोना मामलों की रफ्तार में 55% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। एक हफ्ते में यूरोप में 1.8 करोड़ नए मामले मिले हैं, जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 6% ज्यादा है। ये आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले इसलिए हैं, क्योंकि यूरोप की आधी से ज्यादा आबादी पूरी तरह वैक्सीनेटेड है।
कई देशों ने तो अपनी 70% से ज्यादा आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज दे दिए हैं। इटली, जर्मनी, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, ग्रीस और फ्रांस उन देशों में शामिल हैं, जहां नए केस की रफ्तार रिकॉर्ड तोड़ रही है। जर्मनी में 4 नवंबर को 37 हजार से भी ज्यादा नए केस सामने आए हैं। इससे पहले 22 दिसंबर को 36 हजार केस मिले थे। नवंबर के शुरुआती 4 दिनों में ही 616 लोगों की मौत हो गई है। इसी तरह हंगरी में पिछले एक हफ्ते के मुकाबले नए केसेस में दोगुना बढ़ोतरी हुई है।
भारत में औसतन 12 हजार दर्ज हो रहे कोरोना केस
वहीं, भारत के मद्देनजर जानकार कहते हैं कि भारत के लिए फिलहाल राहत की बात है। देश में औसतन 10-12 हजार कोरोना केस प्रतिदिन दर्ज हो रहे हैं। जबकि अक्टूबर के शुरूआती हफ्ते में रोजाना 23 हजार केस दर्ज किए जा रहे थे। ज्यादातर नए केसेस चुनिंदा राज्यों से आ रहे हैं। वैक्सीनेशन के लिहाज से भारत की 22% आबादी ही पूरी तरह वैक्सीनेट हो पाई है। वहीं, 52% को वैक्सीन का सिंगल डोज लग चुका है।
फेस्टिवल सीजन में लोगों की बढ़ती लापरवाही कोरोना की रफ्तार को बढ़ा सकती है। दिवाली की वजह से लाखों लोगों ने एक जगह से दूसरी जगह ट्रैवल किया है। 4 नवंबर को 5.19 लाख लोगों ने फ्लाइट के जरिए यात्रा की है। इनमें से 70 हजार लोग इंटरनेशनल ट्रेवलर्स हैं। इसी तरह लाखों लोगों ने ट्रेन के जरिए भी यात्रा की है।
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अगले दो महीने सतर्क रहने की जरूरत
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में पहले से ही काफी लोग संक्रमित हो चुके हैं। इस वजह से लोग कोरोना वायरस के प्रति नेचुरली इम्यून हो गए हैं। नेचुरल इम्यूनिटी हमेशा वैक्सीन के इम्यूनिटी से बेहतर होती है। यही वजह है कि भारत में इंफेक्टशन का रेट कम है। भारत और यूरोप में वायरस तो एक ही है लेकिन भारत में डेल्टा वैरिएंट पहले आ गया था इस वजह से लोगों में इम्यूनिटी बनी हुई है।
दूसरे देशों में लोगों को पहले वैक्सीन दे दी गई, उसके बाद वे कोरोना से संक्रमित हुए। भारत में इसका उलटा हुआ। लोग पहले इन्फेक्ट हो गए और उन्हें वैक्सीन बाद में मिली। हमारी बेहतर इम्यूनिटी के लिए ये भी बड़ा कारण है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया है कि आगामी तीन महीने दिसंबर, जनवरी और फरवरी में सतर्कता बरतने की सख्त जरूरत है। नहीं तो कोरोना की तीसरी लहर आने का अंदेशा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद लोगों को बेफ्रिक नहीं, बल्कि सजग और सतर्क होने की जरूरत है। ताकि कोरोना को जड़ से खत्म किया जा सके।
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