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शिमला। हाईकोर्ट ने 6 किलो 100 ग्राम चरस के साथ पकड़े नेपाली नागरिक शेर बहादुर 75 को 10 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश कुल्लू के छह दिसंबर 2016 के फैसले को सही ठहराते हुए उसकी अपील खारिज कर दी। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रार्थी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि मामले का तमाम रिकॉर्ड दर्शाता है कि दोषी खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सका और अभियोजन पक्ष ने यह साबित कर दिया कि प्रार्थी एक बोरी में बड़ी मात्रा में चरस ले जा रहा था। इसलिए निचली अदालत द्वारा उसे सुनाई गई सजा उचित है।
मामले के अनुसार 22 दिसंबर, 2014 को दोषी शेर बहादुर जब भुंतर-मणिकर्ण सड़क पर चीला आगे कैंची मोड़ नामक स्थान पर पगडंडी रास्ते से पहुंचा तो उसका सामना उस समय रघुनाथ मंदिर में हुई चोरी की वस्तुओं को ढूंढने गई पुलिस टीम से हो गया। पुलिसवालों को देख कर वह घबरा गया। पुलिस ने उसे रोक कर उसके हाथ में पकड़े बोरे की तलाशी ली, जिसमें 6 किलो 100 ग्राम चरस पाई गई। एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20 के तहत मामला दर्ज कर शेर बहादुर के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों और मामले के साक्ष्यों को दोष साबित करने के लिए पर्याप्त मानते हुए उसे 10 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया है।
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