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Sirmaur में अब गोबर से बनेंगे गमले, गुजरात से मंगवाई Machine
Last Updated on March 11, 2020 by Deepak
नाहन। सिरमौर जिला को स्वच्छ बनाने व निराश्रित पशुओं की समस्या का समाधान करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब नाहन के समीप स्थित माता बालासुंदरी गौसदन में गोबर (Dung) से गमले बनाने की मशीन स्थापित की गई है। 25 हजार रुपए की लागत से गमले बनाने वाली यह मशीन गुजरात से मंगवाई गई है। बुधवार को डीसी सिरमौर डा. आरके परूथी ने पूजा-अर्चना कर इस कार्य का शुभारंभ किया। दरअसल, इस मशीन में दो-तीन दिन का गला-सड़ा गोबर, भूसे आदि के साथ डाला जाता है उससे यह गमले तैयार किए जाते हैं। यहां तैयार किए जाने वाले गमले (Pot) वन विभाग की नर्सरियों में तैयार होने वाले पौधों के लिए भी इस्तेमाल होंगे, ताकि पॉलिथीन से छुटकारा मिल सके।
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माता बालासुंदरी गौसदन में जिला प्रशासन का यह दूसरा शानदार प्रयास है। इससे पहले यहां गोबर से काष्ठ बनाने की गौ काष्ठ मशीन भी स्थापित की गई थी। प्रशासन द्वारा उठाए गए इन दोनों महत्वपूर्ण कदमों से जहां गौसदन (Gausadan) आत्मनिर्भर बनेंगे, वहीं निराश्रित पशुओं की समस्या का हल भी सकेगा। उपायुक्त सिरमौर डा. आरके परूथी ने बताया कि गौसदनों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी के तहत पहले गौ काष्ठ बनाने की गौ काष्ठ मशीन स्थापित की गई थी। अब गोबर से गमले तैयार करने की मशीन लगाई गई है।
खासकर वन विभाग पौधों के लिए अपनी नर्सरियों में पालिथीन का प्रयोग करता है। प्रयास यही है कि पॉलिथीन का कम से कम इस्तेमाल हो, इसको ध्यान में रखते हुए गोबर से गमले तैयार किए जाएंगे। 10 हजार से अधिक गमलों का इस्तेमाल होगा। इससे जहां गौसदन आर्थिक रूप से मजबूत होगा, दूसरा पालिथीन का भी कम प्रयोग होगा। डीसी ने बताया कि सीएसआईआर पालपुर से टेस्टिंग का टाईअप किया जा रहा है कि एक गमला कम से कम कितने समय चल सकता है। ये टेस्टिंग करवाने के बाद इन गमलों को पौधे लगाकर मार्किट में भी बेचा जाएगा।