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बद्रीनाथ के सिंहद्वार में दरार से हड़कंप, पुरातत्व विभाग ने शुरू की मरम्मत
बद्रीनाथ। उत्तराखंड में जोशीमठ (Joshimath) के बाद अब विख्यात तीर्थ स्थल बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के सिंहद्वार में भी दरार आ गई है। कुछ दिनों पहले देखी गईं इन दरारों (Cracks) के बारे में लोगों को नहीं बताया गया था। भू-धंसाव (Landslide) की सूचना के बाद हड़कंप की स्थिति के मद्देनजर पुरातत्व सर्वे विभाग ने मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार एएसआई (ASI) अधिकारियों ने टीम भेजकर ग्राउंड सर्वे किया और पाया कि मंदिर के द्वार पर पड़ीं इन दरारों की वजह बारिश और अन्य पर्यावरण से जुड़े फैक्टर हैं। गौरतलब है कि बद्रीनाथ से जोशीमठ की दूरी केवल 40 किलोमीटर की ही है, जहां पर इस साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर भू-धंसाव की खबर आई थी, जिसकी वजह भी बारिश और पर्यावरणीय मुद्दों को बताया गया था।
दीवार पर दिख क्रैक
सिंहद्वार की अंदरूनी दीवार पर छोटे क्रैक पड़े हुए हैं। पुरातत्व विभाग की टीम ने रिपेयरिंग शुरू कर दी है। पत्थरों को आपस में जोड़े रखने के लिए इस्तेमाल किए गए आयरन क्लैम्पस (Iron Clamps) को कॉपर क्लैम्पस से बदला जा रहा है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बद्रीनाथ की दीवार पर मामूली सी दरार है जो जमीन के खिसकाव की वजह से पड़ी है। हम इस पर नजर रख रहे हैं।
दिए जा रहे हैं ये कारण
एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी में भूविज्ञान विभाग के प्रमुख एम पी एस बिष्ट के अनुसार, जोशीमठ और बद्रीनाथ की दरारों में एक जैसा कनेक्शन नहीं है। एएसआई अधिकारियों का कहना है कि बर्फ जम जाने की वजह से पानी रिसकर मंदिर की दीवार में जमा हो गया होगा और आयरन क्लैम्प्स में जंग लगने से कमजोरी आ गई होगी।
17वीं सदी में बना था सिंहद्वार
सिंहद्वार का निर्माण 17वीं सदी में बद्रीनाथ मंदिर के मौजूदा परिसर के साथ ही हुआ था। इसके दोनों तरफ कई देवी-देवताओं की मूर्तियां लगी हुई हैं। 1990 में सिंहद्वार (Singh Dwar) की आखिरी बार मरम्मत की गई थी। अभी निरीक्षण में पाया गया कि दीवार की पत्थरों के बीच गैप अधिक हो गया है। पुरातत्व विशेषज्ञ मनोज सक्सेना के अनुसार एक सप्ताह से मरम्मत हो रहा है, जो आगे जारी रहेगा। केंद्र सरकार की तरफ से मरम्मत कार्य जल्द पूरा करने का निर्देश जारी हुआ है, जिसमें राज्य सरकार की संस्कृति विभाग के सहयोग से काम हो रहा है।
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