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stone-pelters: जम्मू। आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के Operation के दौरान कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों ने पत्थरों से हमला किया था। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी बुरी तरह से घायल हुए थे। इसलिए अब CRPF ने मोर्चा संभालते हुए पत्थरबाजों पर शिकंजा कसने की तैयारी की है। सीआरपीएफ ने इसके लिए आतंक विरोधी अभियान के वक्त अपनी तीसरी आंख (नेत्र) का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
बताया जा रहा है कि अब तक नक्सलियों के खिलाफ इन ड्रोन्स का इस्तेमाल होता था। माओवादियों के खिलाफ इसकी सफलता को देखते हुए अब जम्मू- कश्मीर में कई जगहों पर ये ड्रोन तैनात किए जाएंगे। सीआरपीएफ को उम्मीद है कि इससे पथराव कर रहे लोगों पर नजर रखी जा सकेगी और उनकी धरपकड़ में आसानी होगी। सीआरपीएफ इस नेत्र के जरिए हाई-वे और सड़कों पर किसी भी संदिग्ध गतिविधि को भांप सकेगा। इसके अलावा वह किसी जगह एकत्र हो रही भीड़ के बारे में भी सुरक्षा बलों को पहले से सूचित कर, सचेत कर सकेगा।
कश्मीर में आए दिन सेना और पुलिस पर पत्थरबाजी की घटनाएं होती रहती हैं। इन पत्थरबाजों ने खुद कबूल किया कि पैसे लेकर वो कश्मीर में कहीं भी पत्थर या पेट्रोल बम फेंक सकते हैं। पत्थर फेंकने के बदले इन्हें पैसे, कपड़े और जूते मिलते हैं। ऐसे ही पत्थरबाजों की मिलीभगत से पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद तीन महीने तक पूरा कश्मीर सुलगता रहा था।
सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में बाधा डालने वाले स्थानीय लोगों से निपटने के लिए CRPF ने कश्मीर में कमांडोज का ग्रुप तैयार कराया है। इन स्पेशल कमांडोज को जल्द ही कश्मीर घाटी भेजा जाएगा। स्पेशल कमांडोज की जरूरत इसलिए है, क्योंकि आतंकी कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों को ढाल बनाकर सुरक्षा बलों पर हमला कर रहे हैं और तो और अब आतंकियों ने स्मॉग स्क्रीन यानी धुआं फैलाकर भाग जाने का तरीका भी ईजाद कर लिया है। ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब कमांडोज को आतंकियों से लोहा लेने के लिए अलग तरीके की ट्रेनिंग दी जा रही है।
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