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दारुल उलूम देवबंद का फतवा: Coronavirus टेस्ट के लिए Sample देने से नहीं टूटेगा रोजा
Last Updated on April 28, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। माह-ए-रमजान का महीना चल रहा है। कोरोना के चलते तमाम रोजेदार क्वारंटाइन में हैं। लॉकडाउन के बावजूद देश में कोरोना तेजी से फैल रहा है। हर दिन टेस्टिंग की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। वहीं अब भारत में जारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के बीच दारुल उलूम देवबंद ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक अहम् फतवा जारी किया है। फतवे में कहा गया है कि रोजे की हालत में टेस्ट कराने से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दारुल इफ्ता के मुफ्तियों की बेंच ने फतवे में कहा कि कोरोना टेस्ट (Corona Test) के लिए नाक और मुंह से रबूबत (सैंपल) देने में कोई हर्ज नहीं है। साथ ही खांसी और छींक आने पर भी रोजा (Roza) नहीं टूटेगा।
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दरअसल, इससे जुड़ा एक सवाल दारुल-उलूम देवबंद से पूछा गया था। सवाल किया गया था रमजान के दौरान रोजे की हालत में कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल देने पर क्या दिशा-निर्देश हैं। ये सवाल इसलिए भी किया गया क्योंकि कोरोना की टेस्टिंग के लिए गले से भी सैंपल लिया जाता है। इसी सवाल को देखते हुए दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी किया है। दारुल इफ्ता के वरिष्ठ मुफ्ती, मुफ्ती हबीबुर्रहमान और मुफ्ती महमूद बुलंदशहरी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय बेच ने फतवा संख्या एन-549 के माध्यम से अपने जवाब में फतवा देते हुए बताया कि कोरोना टेस्ट के लिए नाक और हलक (मुंह) में रुई लगी स्टिक लगाई जाती है। जिस पर किसी तरह की कोई दवा या केमिकल नहीं लगी होती। फतवे में आगे बताया गया कि यह स्टिक भी सिर्फ एक बार ही नाक और मुंह में लगाई जाती है। जिसमे नाक और हलक की रतूबत (गीला अंश) स्टिक पर लग जाने के बाद उसे मशीन के माध्यम से चेक किया जाता है। इसलिए कोरोना संक्रमण के टेस्ट से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ता।