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बिना वसीयत भी बेटियों को मिलेगा पूरा हक, सुप्रीमकोर्ट ने बढ़ाया अधिकार क्षेत्र
नई दिल्ली। बिना वसीयत के भी अगर पिता (Father) की मौत हो जाती है तो बेटी को उसका पूरा हक मिलेगा। सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) ने बेटियों का अधिकार और बढ़ा दिया है। सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और कृष्ण मुरारी की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि बिना वसीयत के यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी मृत्यु के बाद संपत्ति चाहे उसने खुद बनाई हो या फिर पुश्तैनी हो, दोनों मामलों में कानूनी वारिसों के बीच बंटवारा होगा।
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वरीयता में जायदाद की वारिस होगी
कोर्ट ने कहा कि ऐसे पुरुष हिंदू की बेटी अपने अन्य संबंधियों जैसे मृत पिता के भाइयों (Bothers)के बेटे या बेटियों के साथ वरीयता में जायदाद की वारिस होने की हकदार होगी। इसका मतलब यह हुआ कि संयुक्त परिवार में भी यह फैसला लागू होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के पहले के मामलों में भी लागू होगा।
मद्रास हाईकोर्ट का फैसला खारिज
सुप्रीमकोर्ट में यह मामला तमिलनाडु (Tamilnadu) से आया था। यह मैटर पहले मद्रास हाईकोर्ट में गया। वहां संपत्ति पर भाई के बेटों को अधिकार दे दिया गया। इसके बाद जब सुप्रीमकोर्ट में केस आया तो उसने हाईकोर्ट (HighCourt) के फैसले को खारिज कर दिया। इसी के साथ अपने 51 पेज के ऑर्डर में यह भी कहा कि पैतृक संपत्ति पर बेटी का अधिकार सगे भाइयों से भी ज्यादा होगा।
पुराने ग्रंथों में भी बराबर का उत्तराधिकारी माना गया
जस्टिस कृष्ण मुरारी ने यह कहा कि पुराने ग्रंथों में भी महिलाओं को बराबर का उत्तराधिकारी माना गया है। तमाम ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें पत्नी, बेटी जैसी महिला उत्तराधिकारियों को मान्यता दी गई है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि 1956 हिंदू उत्तराधिकार कानून लागू होने के बाद से ही बेटियों को पिता, दादा, परदादा की खुद की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार है।