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शिमला। गुड़िया मर्डर केस में अब गाज डीसी शिमला पर गिरना बाकी है। इसके लिए वकायदा उन्हें निशाना पर भी लिया जा रहा है। डीसी पर आरोप लग रहे हैं कि वह इस घटना के तुरंत बाद हरकत में आते तो हिंसा न फैलती और न ही सरकारी संपत्ति को नुकसान होता। जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में प्रशासन की नाकामी देख अब डीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बीडीसी ठियोग के अध्यक्ष मदन लाल वर्मा ने कहा कि यदि डीसी शिमला समय रहते सक्रिय होते तो ठियोग और कोटखाई में तोड़-फोड़ न होती।
उनका कहना था कि डीसी घटना के दो सप्ताह बाद पीड़िता के घर जाते हैं और यदि यह कदम पहले ही उठा लिया होता तो शायद स्थितियां और होती। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार की जो आंशकाएं थी और इस मामले को लेकर जो कार्रवाई चाहते थे, वह पहले ही डीसी के माध्यम से सरकार तक जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि डीसी ही इस सारे मामले के लिए जिम्मेदार है, जिसने कोई संवाद लोगों से नहीं किया।
वर्मा ने कहा कि डीसी को इस घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों और स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था को देखना डीसी का कार्य होता है और वह इसमें पूरी तरह से असफल रहे हैं। उनका कहना था कि डीसी दो सप्ताह बाद भी तब गए, जब लोगों का उन पर दबाव बढ़ा। उन्होंने कहा कि लोगों के दबाव के बाद डीसी पीड़ित के घर गए और इससे उनकी संवेदनशीलता का पता चलता है।
बीडीसी अध्यक्ष ने डीसी पर सीएम के आदेशों पर अमल न करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो डीसी आज कह रहे हैं कि उनके दरवाजे सबके लिए खुले हैं, यदि वास्तव में ऐसा होता तो स्थितियां न बिगड़ती। उन्होंने कहा कि डीसी को जिले की जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और उसके मुताबिक त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
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