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डीपफेक से फाइनेंस-बैंकिंग पर मंडरा रहा बड़ा खतरा-किया आगाह
डीपफेक इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक (Deepfake) की नकारात्मक कारणों से बार.बार चर्चा सामने आ रही है। चूंकि इन दिनों में कुछ ऐसे प्रकरण सामने आए हैं, जिन्होंने एआई (AI) और डीपफेक के दुरुपयोग के बारे में लोगों को सचेत किया है। वक्त गुजरने के साथ इसके कारण होने वाली समस्याएं और गंभीर होने वाली हैं। जीरोधा के को-फाउंडर (Co-Founder of Zerodha) नितिन कामथ ने हाल ही में इसके एक आयाम पर अपना पक्ष रखते हुए खतरे से आगाह किया है।
डीपफेक ने ऑनलाइन ऑनबोर्डिंग को मुश्किल बनाना शुरू कर दिया
ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के को.फाउंडर नितिन कामथ (Nitin Kamath) का मानना है कि जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी और डीपफेक के उभार से बैंकिंग व फाइनेंस की दुनिया के सामने सबसे गंभीर संकट आ सकता है। चूंकि, ऑनलाइन केवाईसी (Online KYC) से कई चीजें एकदम आसान हो गई है लेकिन अब एआई और डीपफेक ने ऑनलाइन ऑनबोर्डिंग को मुश्किल बनाना शुरू कर दिया है। कामथ ने एक्स पर एक वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, आधार आदि के चलते जब ऑनबोर्डिंग की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल हुई वह भारत के फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस के लिए टिपिंग पॉइंट था, किसी भी बिजनेस के लिए नए ग्राहक को ऑनबोर्ड करते हुए यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि अकाउंट ओपन करा रहा व्यक्ति और उसके कागजात सही हैं।
चुनौतियों से कैसे निपटा जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा
कामथ को इस बात का डर सता रहा है कि डीपफेक जिस तरह से बेहतर होता जा रहा है, आने वाले दिनों में यह पता लगा पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा कि अकाउंट खुलवा रहा व्यक्ति असली है या एआई जेनरेटेड। यही समस्या बैंकों के साथ ज्यादा बड़ी हो जाएगी। कामथ का कहना है कि आने वाले दिनों में इन चुनौतियों से कैसे निपटा जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा। उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि अगर इन चुनौतियों से बचने के लिए फिर से ऑफलाइन ऑनबोर्डिंग (Offline Onboarding) की राह अपनाई जाती है तो संबंधित सेक्टरों की ग्रोथ पर बहुत बुरा असर पड़ने वाला है।