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धर्मशाला। संगठनात्मक जिला देहरा में अपनी जीत के दावे भले ही कांग्रेस कर रही हो, लेकिन इस वक्त जो घमासान देहरा कांग्रेस में मचा है, उससे पार्टी की जीत की राह आसान तो नहीं लग रही। संगठन के पदाधिकारियों और पूर्व प्रत्याशी के बीच चल रही रार सीएम के देहरा दौरे के दौरान खुलकर सामने आई। तब से लेकर अब तक देहरा के कांग्रेस नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते आ रहे हैं।
मामले ने वनखंडी की जनसभा से तूल पकड़ा था और अब यह लगातार आगे ही बढ़ता जा रहा है, हाल फिलहाल में यह घमासान थमता नजर नहीं आ रहा।वनखंडी में हुई जनसभा के दौरान जहां देहरा जिलाध्यक्ष नरदेव कंवर का नाम तक मंच से नहीं लिया गया तो वही काली भेड़ों की खोज करने का प्रयास भी इस मंच से खूब हुआ। देहरा के बाद डाडासीबा में संगठन से जुड़े कांग्रेसी भी नदारद ही रहे।
संगठनात्मक जिला देहरा में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस संघर्ष करती रही है। सीएम वीरभद्र सिंह ने भी इस बात को समझते हुए बयान दिया था कि यहां की परिस्थिति बदलने के लिए सशक्त प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। अब सवाल यह है कि धड़ों में जब तक पार्टी बंटी रहेगी तब तक कोई भी प्रत्याशी सशक्त कैसे हो सकता है। पिछले चुनावों में देहरा से प्रत्याशी रहे राजेंद्र राणा हालांकि सीएम के दौरे में हर जगह साथ दिखे, लेकिन जिन्हें राणा के साथ होना चाहिए था वो कहीं नजर ही नहीं आए। अब अकेले राणा ही चलते रहेंगे तो पार्टी को कुछ हासिल नहीं होगा। पिछले चुनावों में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले रविंद्र रवि ने भी जीत दर्ज करके कांग्रेस को आईना दिखा दिया था। आगामी चुनावों में भी यही हाल कांग्रेस का रहा तो बीजेपी की जीत को टालना मुश्किल है। हालांकि अटकलें यह लगाई जा रही थीं कि रवि आगामी चुनावों में अपना विधानसभा क्षेत्र बदल लेंगे, लेकिन इन अटकलों पर फिलहाल खुद रवि ने ही विराम लगा दिया है। ऐसे में कांग्रेस की दिक्कतें और भी बढ़ सकती हैं क्योंकि रवि का मुकाबला करने के लिए सशक्त प्रत्याशी जब तक तय नहीं होता और जब तक पूरी पार्टी का साथ उसे नहीं मिलता, तब तक देहरा की जीत कांग्रेस के लिए सपना ही रह जाएगी।
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