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पंचायतों के पुनर्गठन पर नहीं थम रहा घमासान, प्रस्तावों को चुनौती देने वाले खुलकर आ रहे सामने
Last Updated on September 4, 2020 by Deepak
सुंदरनगर। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में पंचायतों के पुनर्गठन (Reorganization of Panchayats) की कवायद से ग्राम पंचायतों में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रस्तावों को चुनौती देने वाले भी खुलकर सामने आ गए हैं और कुछ पंचायतों का क्षेत्रफल अधिक होने के बावजूद भी उन्हें विभाजित नहीं किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला जिला मंडी के सुंदरनगर की कांगू पंचायत (Kangu Panchaya) में सामने आया है। यहां कांगू पंचायत को दो भागों में बांटने की मांग को शुक्रवार को ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी मंडी (DC Mandi) ऋग्वेद सिंह ठाकुर से मिला और अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने बताया कि कांगू पंचायत में तीन वार्ड बहुत बड़े हैं।
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ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायतों के पुनर्गठन को लेकर उनके पंचायत प्रतिनिधियों ने पहले उन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं दी थी। इस कारण गांववासी इससे अनिभिज्ञ रहे। उन्होंने कहा कि देहवी की जनसंख्या लगभग 2200 और कुल वोटर 850 है। ग्रामीणों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बड़ी पंचायतों का विभाजन हो रहा है तो उनकी पंचायत का भी विभाजन कर एक देहवी को नई पंचायत बनाया जाए। वहीं अब इस मामले में विधानसभा क्षेत्र सुंदरनगर (Sundernagar) के पूर्व विधायक एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य सोहन लाल ठाकुर भी सामने आ गए हैं। बता दें कि जिला मंडी में पंचायतों के पुनर्गठन के मामले को पहले ही कांग्रेस पार्टी ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसके उपरांत अधिक क्षेत्रफल और जनसंख्या होने के बावजूद पंचायत का विभाजन नहीं करने के कारण ग्रामवासियों में व्याप्त रोष से कांग्रेस को भी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है।
सोहन ठाकुर का आरोप: चूज एंड पिक्क के आधार पर भेदभाव कर रही सरकार
पूर्व विधायक सोहन लाल ठाकुर (Sohan Lal Thakur) ने कहा कि ग्राम पंचायत कांगू का एक प्रतिनिधिमंडल नई ग्राम पंचायत देहवी बनाने की मांग को लेकर डीसी मंडी से मिला है। इसके समर्थन में लगभग 300 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की मांगें जिलाभर से सामने आ रही हैं और इस मामले को कांग्रेस पार्टी के द्वारा भी उठाया गया था। सोहन लाल ठाकुर ने आरोप लगाया कि पंचायतों के पुनर्गठन मे चूज एंड पिक्क के आधार पर भेदभाव किया गया है। संपूर्ण प्रदेश में पुनर्गठन को लेकर सही प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है।