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शिमला। आउटसोर्स प्रणाली को खत्म करके प्रदेश की पिछली सरकार के वादे अनुसार इन्हें नियमित करने की मांग सीटू राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा ने की है। उनका कहना है कि प्रदेश में लगभग 40 हज़ार आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं। कई वर्षों की सेवाओं के बावजूद उनका शोषण जारी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2016 में दिए गए समान कार्य के लिए समान वेतन के निर्णय को लागू नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के समान काम के बदले समान वेतन के निर्णय का प्रदेश और केंद्र सरकार खुला उल्लंघन कर रही हैं।
विजेंद्र मेहरा ने बताया कि सीटू राज्य कमेटी द्वारा हिमाचल प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों का राज्य स्तरीय अधिवेशन 25 दिसंबर को कालीबाड़ी हॉल शिमला में आयोजित किया जाएगा। अधिवेशन में आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगों पर भविष्य में आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। विजेंद्र मेहरा ने कहा कि ठेकेदार बदलने पर मजदूरों को नौकरियों से निकाल दिया जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए तय वेतन उन्हें नहीं दिया जा रहा है। इन कर्मचारियों को ईपीएफ, ईएसआई, छुट्टियों, ओवरटाइम वेतन, वर्दी, मेडिकल, आई कार्ड आदि सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर शीघ्र आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण बंद न हुआ व इनके नियमितीकरण के लिए पॉलिसी न बनी तो आउटसोर्स कर्मचारी सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी करेंगे व हल्ला बोलेंगे।
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