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धर्मशाला। प्रारंभिक शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक jbt टेट पास अध्यापक रखने की शर्त से, प्रदेशभर के चार हजार निजी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। 13 जनवरी को विभाग की डेडलाइन समाप्त हो गई है और तब तक कोई भी स्कूल यह शर्त पूरी नहीं कर पाएगा। इसलिए सरकार इस बारे में विभाग को उचित दिशानिर्देश देकर इस शर्त को हटवाए। यह मांग लेकर हिमाचल recognised and affiliated private schools organisation का एक प्रतिनिधिमंडल, प्रदेशाध्यक्ष राजेश रॉकी की अगवाई में सीएम से मिला।
निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि विभाग के इन आदेशों के बाद निजी स्कूलों ने अपने स्तर पर साक्षात्कार आयोजित किए, लेकिन जितने अध्यापक उनको चाहिए उतने उपलब्ध ही नहीं हैं। ऐसे में जब निजी स्कूल संचालक अपने स्कूल की मान्यता के नवीकरण के लिए जा रहे हैं तो डिप्टी डायरेक्टर के ऑफिस में उनकी फाइल क्लियर नहीं हो रही। अब कुछ दिन बाद नए दाखिले होने हैं और स्कूलों की फाइल क्लियर नहीं होगी तो इन स्कूलों पर ताला लटक जाएगा। वहीं इन निजी स्कूलों में jbt से भी उच्च शिक्षित स्टाफ कई वर्षों से सेवारत है उसके भविष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है। करीब 70 प्रतिशत स्कूलों में tgt और pgt अध्यापक हैं जिन्होंने tet पास कर लिया है। जो शेष रहते हैं उन्हें भी tet पास करने के लिए 3 से 5 वर्ष की समयसीमा दी जाए। सीएम ने इस बारे में पहले तो कह दिया की प्रदेश में प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी नही है लेकिन जब प्रतिनिधिमंडल ने विस्तार से अपना पक्ष रखा और बताया कि उन्हें वांछित संख्या में अध्यापक मिल ही नहीं रहे हैं। इसके बाद सीएम ने प्रदेश के मुख्य सचिव वीसी फारका को इस मामले को देखने और शिक्षा विभाग को जरूरी दिशानिर्देश देने की बात कही है।
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