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ऊना। भारत देवी-देवताओं की पवित्र भूमि है और इसमें हिमाचल प्रदेश को विशेष रूप से देवों की स्थली माना गया है। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना (Una) में अंब-ऊना संपर्क मार्ग पर बसाल से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर गांव नारी में विराजमान ब्रह्मचार्य डेरा बाबा रूद्रु के नाम से सुप्रसिद्ध अपनी समसामयिक, सामाजिक, अध्यात्मिक तथा रचनात्मक गतिविधियों के कारण विशेष व महत्वपूर्ण स्थान रखता है। डेरा बाबा रुद्रानंद (Dera baba rudranand) में आयोजित पंचभीष्म मेले में आस्था और श्रद्धा का खूब जनसैलाब उमड़ रहा है। डेरा बाबा रुद्रानंद देश ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वालों की भी आस्था का केंद्र है।
इस आश्रम का प्रमुख देवता अग्रिदेव है, अत: आश्रम में हजारों श्रद्धालु यहां केवल अखंड अग्रि के प्रति अपनी श्रद्धा भेंट करने के लिए अखंड धूना के सम्मुख नतमस्तक होते हैं। इस अखंड धूने को 1850 में बाबा रुद्रानंद ने बसंत पंचमी के दिन अग्नि देव की साक्षी में स्थापित किया था। अखंड धूने से देश-विदेश के लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और रोजाना यहां सैकड़ों लोग नतमस्तक होते हैं। इस धूने में हर रोज वैदिक मंत्रों से हवन डाला जाता है, यह सिलसिला शुरू से चलता आ रहा है। अखंड धूने की विभूति को लोग चमत्कारिक मानते हैं। वर्तमान में डेरा के अधिष्ठाता एवं वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज सालों से चली आ रही इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। हर साल पंचभीष्म के उपलक्ष्य में कोटि गायत्री महायज्ञ होता है जिसमें बनारस से आए विद्धान विधिवत पूजा-अर्चना करवा रहे हैं। जबकि 500 से अधिक पंडित यज्ञशाला में कोटि गायत्री का जाप कर रहे हैं।
डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी के प्रांगण में विद्यमान पांच पीपल कोई साधारण वृक्ष नहीं हैं। यह पांचों पीपल चमत्कारिक हैं क्योंकि इस जगह सालों पहले पांच ऋषियों ने योग समाधि ली थी, जो बाद में पांच पीपलों के रूप में प्रकट हुए। यह बोध वृक्ष देव तुल्य माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके नीचे सर्प दंशित व्यक्ति का जहर अखंड धूने की विभूति लगाने से उतर जाता हैं। पीपलों की परिक्रमा करने से भूतप्रेत बाधा और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। हर रोज आश्रम में आने वाले सैकड़ों श्रद्धालु इन पीपलों की परिक्रमा करते हैं। आज से शुरू होकर 12 नबंवर तक चलने वाले पंचभीष्म मेले के साथ ही कोटि गायत्री महायज्ञ का आयोजन भी किया जा रहा है। इस महायज्ञ का उद्देश्य देश में अमन और शान्ति की कामना की जा रही है। इस महायज्ञ देशभर से करीब 500 विद्वान विधिवत पूजा-अर्चना के साथ गायत्री महामंत्र का जाप कर रहे हैं।
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