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धर्मशाला। प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा धर्मशाला को दूसरी राजधानी का दर्जा देने का निर्णय महज कांग्रेस का चुनावी स्टंट न बनकर रह जाए। जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर धर्मशाला भी छह माह राजधानी बनाई जाए, ताकि जनता को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके। सरकार अपने फैसले को जल्द अमलीजामा भी पहनाएं और जीएडी के अधीन किए गए भवन में सचिवालय के अधिकारियों की तैनाती करे, ताकि दूसरी राजधानी का लाभ लोगों को मिलना शुरू हो जाए।
यह शब्द बीजेपी प्रदेश सह मीडिया प्रभारी राकेश शर्मा ने जारी बयान में कहे। राकेश शर्मा ने कहा कि राजधानी के अलावा अन्य जनहित के मुद्दों पर भी सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। सरकार की लापरवाही का आलम यह है कि पिछले कई वर्षों से सेंट्रल यूनिवर्सिटी धर्मशाला व देहरा के बीच झूल रही है, लेकिन सरकार इसके प्रति तत्परता नहीं दिखा रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि छह माह पूर्व सीयू प्रशासन ने प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को पत्र लिख कर नए कोर्सिस शुरू करने के लिए भवन उपलब्ध करवाने की मांग की थी, लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि राजधानी धर्मशाला में बनने से सभी को लाभ होगा, लेकिन स्टूडेंटस को उच्च शिक्षा के लिए सीयू की स्थापना करवाना और नए कोर्सिस शुरू करवाना भी अत्यंत जरूरी है। सरकार को इस बारे भी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जिससे जनता को भी इस बात का पता चल सके कि सीयू को लेकर आखिर सरकार की मंशा क्या है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सीयू का अस्थाई शैक्षणिक ब्लॉक शाहपुर कॉलेज भवन में संचालित किया जा रहा है। वहां भी स्टूडेंटस की संख्या अधिक होने के चलते पहले ही जगह कम पड़ रही है और सीयू प्रशासन नए कोर्सिस भी शुरू करना चाहता है। ऐसे में सीयू प्रशासन को सरकार व प्रशासन को स्टूडेंटस की बढ़ती संख्या और नए कोर्सिस को मद्देनजर रखते हुए भवन उपलब्ध करवाने की दिशा में पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा को मिले सीयू के भवन की स्थापना में प्रदेश सरकार रोड़ा अटका रही है। यही कारण है कि आज तक यह तय नहीं हो पाया है कि सीयू की स्थापना कहां की जानी है।
राकेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इससे पहले भी बड़ी बड़ी घोषणाएं कर रखी हैं और उनपर कितना अमल हुआ है यह प्रदेश की जनता भी जानती है। यही वजह है कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने का सरकार का फैसला जो कि चुनावी वर्ष में आया है, सिर्फ चुनावी स्टंट प्रतीत हो रहा है। धर्मशाला के स्थानीय विधायक यहां चुनावों से पूर्व और जीतने के साढ़े चार साल बाद भी सिर्फ सपने दिखाते आए हैं। अब जनता के बीच जाने के लिए उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है तो वह राजधानी के सपने दिखाकर लोगों से वोट मांगने का प्रयास करेंगे। राकेश शर्मा ने कहा कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी घोषित करने के साथ मिनी सचिवालय भवन को जीएडी के अधीन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले मिनी सचिवालय में चल रहे विभिन्न विभागों के कार्यालयों के लिए व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मिनी सचिवालय जीएडी के अधीन होने से यहां संचालित किए जा रहे सीआईडी, विजिलेंस, तहसीलदार निर्वाचन, सहायक नियंत्रक वित्त एवं लेखा मंदिर, भू-व्यवस्था अधिकारी कार्यालय और वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल को सरकार ने कहां शिफ्ट करने की व्यवस्था की है।
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