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लेखराज धरटा/ शिमला। हिमाचल (Himachal)को दो स्मार्ट सिटी मिली हैं। पांच हज़ार करोड़ के प्रोजेक्ट थामे बैठीं धर्मशाला व शिमला (Dharmshala-Shimla)में अभी तक स्मार्ट सिटी (Smart City)के लिहाज़ से कोई गुणवत्ता वाला काम नज़र नही आया है। धर्मशाला के काम पर तो नगर निगम के मेयर ने ही सरकार को चिट्ठी लिखकर सवाल खड़ा कर दिया है। उस पर हैरान कर देने वाली बात यह है कि धर्मशाला को स्मार्ट बनाने का जिम्मा लेने के बाद जो कंपनी डिफॉल्टर (Defaulter company) घोषित हुई अब उसे ही शिमला को स्मार्ट सिटी बनाने का जिम्मा लगभग-लगभग दिया जा रहा है।
इस बीच,आज केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी (Union Urban Development Minister Hardeep Puri) ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से शिमला व धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा (Review of development works) की । स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर केंद्रीय विकास मंत्रालय द्वारा सभी चयनित स्मार्ट शहरों में विकास कार्यों की प्रगति तथा प्रस्तावित योजनाओं के कार्यान्वयन पर विस्तार से चर्चा की गई तथा विकास कार्यों को समयबद्व पूरा करने के लिए उचित कदम उठाने के दिशा निर्देश दिए गए हैं।
धर्मशाला को जुलाई 2016 में स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया था। स्मार्ट सिटी के तहत धर्मशाला क्षेत्र में 33 करोड़ रूपये की लागत से विभिन्न विकास कार्यों को पूरा किया जा चुका है जिसमें 29 करोड़ की राशि पेयजल की बेहतर सुविधा पर खर्च की गई है। 67 करोड़ रूपये के विकास कार्य प्रगति पर हैं जिसके तहत धर्मशाला क्षेत्र के 10 स्कूलों में भी स्मार्ट क्लासरूम (Smart Classroom) का निर्माण किया जा रहा है। ये वो आंकडे हैं जो कागजों की चमक बने हुए हैं।
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