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भारतीय राष्ट्रपति और ब्रिटिश क्राउन में होता है काफी अंतर, यहां पढ़ें
Last Updated on September 10, 2022 by Neha Raina
ब्रिटेन में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) का 96 साल की उम्र में निधन हो गया। महारानी एलिजाबेथ महारानी होने के साथ-साथ ब्रिटेन की हेड ऑफ स्टेट भी रही हैं। जैसे भारत में राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति को कहा जाता है। हेड ऑफ स्टेट और राष्ट्रपति में भले ही समानता हो, लेकिन इन संवैधानिक तौर पर दोनों के अधिकारों में काफी अंतर होते हैं।
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बता दें कि ब्रिटेन में संवैधानिक तौर पर राजतंत्र लागू है। जबकि, भारत में राष्ट्रपति के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं होता है। भारत में राष्ट्रपति को मतदान के जरिए चुना जाता है। वहीं, ब्रिटेन में सब कुछ वंशानुगत होता है। यहां राज पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। ब्रिटेन के राजा और महारानी को चुनने का फैसला शाही परिवार करता है। इतना ही नहीं जिसके पास ब्रिटिश ताज हो वे कॉमनवेल्थ देशों का प्रमुख होता है। उसका देश में राजघरानों, संपत्ति और महलों का दबदबा होता है। जबकि, भारत में राष्ट्रपति सिर्फ अपने ही देश का प्रमुख होता है और उनके पास ऐसी कोई पॉवर नहीं होती है।
सबसे अहम बात भारत में राष्ट्रपति का एक अपना तय कार्यकाल होता है। कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ता है। जबकि, ब्रिटेन में ऐसा नहीं होता। ब्रिटेन में महारानी जब तक चाहे तब तक शाही गद्दी पर बैठ सकती हैं। महारानी एलिजाबेथ 70 साल से शाही गद्दी पर काबिज रही हैं। इसके अलावा ब्रिटेन की संसद यानी हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य शाही गद्दी पर बैठे शासक से सवाल पूछ सकते हैं और इसका उन्हें जवाब भी देना पड़ता है। वहीं, भारत के राष्ट्रपति के लिए ऐसा कोई नियम नहीं होता है। भारत में राष्ट्रपति से कोई सवाल नहीं कर सकता है और ना ही वे किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए बाध्य होते हैं।
ब्रिटिश क्राउन और भारतीय राष्ट्रपति की समानताएं
संवैधानिक तौर पर ब्रिटेन में शाही गद्दी संभालने की कोई आयु सीमा नहीं है। ऐसे ही भारत में भी राष्ट्रपति पद पर बने रहने के लिए कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है। दोनों ही ज्यादातर फैसलों पर मुहर पीएम और कैबिनेट की सलाह लेने पर लगाते हैं। दोनों ही अपने भाषण में सरकार की नीतियों और कामों की जानकारी देते हैं।