-
Advertisement
Budget Session: धारा 370 पर सदन में हंगामा, हाथापाई तक पहुंच गई थी बात
Last Updated on March 4, 2020 by Deepak
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र (Budget Session) में आज धारा 370 पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच भारी तकरार हुई तथा इसी तकरार के बीच पूरा विपक्ष सदन के बीचोंबीच पहुंच गया और भारी हंगामा किया। इस दौरान जगत सिंह नेगी और सत्ता पक्ष के विधायक विक्रम जरयाल के बीच नौबत हाथापाई तक आ गई, जिसे अन्य सदस्यों ने शांत करवाया। यह सारा मामला उस वक्त आरंभ हुआ, जब किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी राज्यपाल के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर हो रही चर्चा में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी कश्मीर तो चाहती है, लेकिन कश्मीरियों को नहीं। उन्होंने धारा 370 हटाने को जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धोखा करार दिया और कहा कि इसके बाद कश्मीर में हालात बिगड़े हैं और लोग सात माह से बंधकों जैसी जिंदगी जी रहे हैं।
यह भी पढ़ें: Budget Session: सीएम के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने फिर किया वॉकआउट
नेगी ने यह भी कहा कि धारा 370 महाराजा कश्मीर हरि सिंह और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार लागू थी, जिसे नहीं हटाया जा सकता था। जगत सिंह नेगी ने इस समझौते की एक प्रति सदन पटल पर रखने की घोषणा की। नेगी द्वारा यह मामला उठाए जाने और केंद्र सरकार के निर्णय को गलत करार दिए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सरकार का पक्ष रखना चाहा, लेकिन इसी दौरान संसदीय कार्य मंत्री और जगत सिंह नेगी के बीच तीखी नोक-झोंक आरंभ हो गई। इसी दौरान संसदीय कार्यमंत्री ने जगत सिंह नेगी को लेकर एक टिप्पणी भी की, जिसे बाद में सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री की टिप्पणी पर पूरा विपक्ष आग बबूला हो गया और इस टिप्पणी को वापस लेने और माफी मांगने की मांग को लेकर सदन के बीचोंबीच आ गया और काफी देर तक नारेबाजी करता रहा।
बाद में सीएम जयराम ठाकुर ने इस मामले पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा को जम्मू-कश्मीर तक ले जाना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने देशहित की बात पर आवेश में आकर टिप्पणी की है और इसे आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष किसी भी टिप्पणी के लिए स्वतंत्र है, लेकिन नौबत यहां तक नहीं आनी चाहिए थी। इस दौरान विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हम सब चुने हुए सदस्य हैं और किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणी सहन नहीं होगी। उन्होंने अध्यक्ष से इस टिप्पणी को कार्यवाही से हटाने की मांग की। बाद में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा संसदीय कार्य मंत्री की विवादित टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाने और संसदीय कार्यमंत्री के भी इस पर सहमति जताने के बाद मामला शांत हो गया।