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#Supreme_Court ने कहा- आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है; जानें क्या है पूरा मामला
Last Updated on October 14, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है। दरअसल कोर्ट द्वारा यह वक्तव्य मोरेटोरियम मामले (Moratorium cases) की सुनवाई के दौरान दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (Central Govt) को 2 करोड़ रुपए तक लोन पर ब्याज की छूट के मामले में सर्कुलर जारी करने के लिए 2 नवंबर तक की डेडलाइन तय की है। कोर्ट ने कहा कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है। केंद्र सरकार ने तमाम तरह की औपचारिकताओं का हवाला देते हुए फैसले को लागू करने के लिए एक महीने का वक्त मांगा। इस पर कोर्ट ने केंद्र की गुजारिश को ठुकराते हुए कहा कि जब फैसला पहले ही लिया जा चुका है तो उसे लागू करने में इतना ज्यादा वक्त क्यों लगना चाहिए?
यहां जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 2 करोड़ रुपए तक के एमएसएमई, एजुकेशन, होम, कंज्यूमर, ऑटो लोन पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी ये ब्याज वसूली नहीं की जाएगी। लेकिन इसके बाद शीर्ष अदालत ने विभिन्न क्षेत्रों में उधारकर्ताओं के लिए राहत पर विचार करने के लिए सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज पर ब्याज माफी को सरकार को जल्द लागू करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक अभी कर्जदारों को एनपीए घोषित ना करें।
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह आज यानी बुधवार को ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की पूरी दलील सुनेगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया है। इस हलफनामे में साफ तौर पर कहा गया है कि सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया है। मौजूदा महामारी के बीच अब यह संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए। केंद्र ने ये भी कहा कि जनहित याचिका के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए राहत की मांग नहीं की जा सकती। केंद्र सरकार के हलफनामे के मुताबिक 2 करोड़ तक के लोन के लिए ब्याज पर ब्याज (चक्रवृद्धि ब्याज) माफ करने के अलावा कोई और राहत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक है।