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साल के पहले सूर्य ग्रहण में दिखेगी ‘रिंग ऑफ फायर’, ग्रहण से पहले ना करें ये काम
Last Updated on June 17, 2020 by
साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने वाला है। इस बार वलयाकार सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) होगा जिसमें सूर्य के चारों तरफ कंगन के आकार की छवि यानी ‘रिंग ऑफ फायर’ दिखाई देगी। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व होता है जबकि वैज्ञानिक नजरिए से ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को अशुभ घटना मानी जाती है। ग्रहण से पहले सूतक काल प्रभावी होता है। सूतक काल (Sutak period) को शुभ नहीं माना जाता है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है, वहीं चंद्र ग्रहण के समय ग्रहण के 5 घंटे पहले सूतक लग जाता है। तो हम आपको बताते हैं कि सूतक काल कब लगेगा और इसमें आपको क्या-क्या नहीं करना चाहिए …
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रविवार, 21 जून को सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 13 मिनट से शुरू हो जाएगा। दोपहर 12 बजकर 2 मिनट पर ग्रहण चरम पर होगा ग्रहण का मोक्ष काल 3 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। ग्रहण का सूतक काल 20 जून को रात 10 बजकर 5 मिनट से शुरू जाएगी जो ग्रहण की सामाप्ति पर खत्म होगा। सूतक काल के दौरान किसी भी तरह की शुभ कार्य, पूजा-पाठ, धार्मिक आयोजन नहीं किया जाता। इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिया जाता है ताकि भगवान तक भी ग्रहण का अशुभ प्रभाव ना पहुंच सके। सूतक काल का समय अशुभ होता है क्योंकि इस दौरान राहु सूर्य और चंद्रमा का ग्रास कर लेता है। माना जाता है ग्रहण के दौरान सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा हावी रहती हैं।
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सूर्य सूतक में और ग्रहण के बाद क्या करें –
- सूतक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते
सूतक में मंदिर के दरवाजे और पर्दे बंद कर दिए जाते हैं
सूतक में खाना नहीं बनाया जाता है।
सूतक में गर्भवती महिलाओं पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है इसलिए ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
ग्रहण के खत्म होने के बाद गंगा स्नान और दान करना चाहिए। - ज्योतिषियों की मानें तो सूर्यग्रहण में ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। बूढ़े, बालक, रोगी और गर्भवती महिलाएं डेढ़ प्रहर चार घंटे पहले तक खा सकते हैं ।
- ग्रहण के बाद नया भोजन बना लेना चाहिए । सम्भव हो तो ग्रहण के बाद घर में रखा सारा पानी बदल दें। कहा जाता है ग्रहण के बाद पानी दूषित हो जाता है। ग्रहण के कुप्रभाव से खाने-पीने की वस्तुएं दूषित ना हों इसलिए सभी खाद्य पदार्थों एवं पीने के जल में तुलसी का पत्ता अथवा कुश डाल दें।
- ग्रहण के समय पहने हुए एवं स्पर्श किए गए वस्त्र आदि अशुद्ध माने जाते हैं। अतः ग्रहण पूरा होते ही पहने हुए कपड़ों सहित स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण से 30 मिनट पूर्व गंगाजल छिड़क के शुद्धिकरण कर लें।