- Advertisement -
हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है. कई बार उसे पता नहीं चलता कि किस वजह से उसकी जिंदगी में समस्याएं व परेशानियां कम होने का नाम नहीं लेती। कुंडली के ग्रह यदि पीड़ा दे रहे हों तो ध्यान दें कि जैसे औषधियों के प्रयोग से रोग नाश होता है तथा मंत्र द्वारा भय नाश होता है ,उसी प्रकार स्नान विधान से ग्रहों की पीड़ा शांत की जा सकती है। प्रस्तुत हैं औषधियों से स्नान के प्रयोग।
सूर्यः करवीर जपा मुस्त देवदारु मन:शिला:
केशरैला पद्मकाष्ठ मधुपुषोध बालकै:
एततज्जापी प्रतिदिन मेतद्युक्तजलैश्चरेत
स्नानं सूर्यस्य संतुष्टयै दुष्टो वा यस्य भास्कर:
भगवान सूर्य देव की प्रसन्नता के लिए गुलाबी कनेर, दुपहरिया, देवदारु, केसर, इलायची व महुआ के फूल का चूर्ण जल में मिला कर स्नान करें। प्रतिदिन न हो सके तो रविवार को गुड़, लाल फूल और अक्षत से सूर्य को जल दें।
चंद्रः पंचगव्यं,च रजतं मौक्तिक शंख शुक्तिके
कुमुदानि जले क्षिप्त्वा स्नानं चंद्रस्य तुष्टये
चंद्र की प्रसन्नता के लिए पंचगव्य,चांदी ,मोती, सीप,शंख और कुमुदिनी के फूल को जल में डाल कर उससे स्नान करने से चंद्रमा प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी दी हुई पीड़ा भी शांत होती है।
मंगलः विश्वाम्बला चंदनं च रामठासन पुष्पकम्
फलिनी बकुलैर्ययुक्तं स्नानं भौमस्य तुष्टये।
सोंठ , लाल चंदन , शिंगरफ, मालकांगनी और मौलश्री के फूल जल में डाल कर उस पानी से स्नान करें तो मंगल की शांति होती है।
बुध ः हरीतकी कलिफलै र्गोमयाक्षत् रोचनै:
स्वर्णमलाक-मुक्ताभियुक्तै: सक्षोद्रकै: स्नपेत
बुध पीड़ा दे रहा हो तो हरड़, बहेड़ा, गोमय, अक्षत, गोरोचन, स्वर्ण और मधु मिला कर बुध की प्रसन्नता के लिए स्नान करें।
गुरूः मदयंती पल्लवश्च मधुकं श्वेतसर्षपा:
मालती पुष्पयुक्ताश्च स्नानेन गुरुतोषणम्
मदयंती के पत्र,मुलैठी, सफेद सरसों और मालती के पुष्पों को जल में मिला कर स्नान करने से गुरु प्रसन्न होते हैं।
शुक्रः समूलं त्रिफला चैला केशरंच मन:शिला
एभिर्युतैर्जलै:स्नानायाद् भार्गवस्यतु तुष्टये
शुक्र ग्रह के अनिष्ट प्रभावों को शांत करने के लिए हरड़, बहेड़, आंवला, इलायची, केसर और मैनसिल जल में मिला कर स्नान करें।
शनिः रसांजनं कृष्णतिला:शतपुष्पा घनोबला
लज्जालु लोध्रमुक्ताभिरद्रिभि:स्नानं शनैर्मुदे
शनि पीड़ा दे रहा हो तो सुरमा, कालातिल, नागरमोथा और लोध मिले जल से स्नान करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
राहुः नागबल्ली-नागबला कुमारो चक्रभास्करै:
वचा-गडूचीतगरै:स्नानं राहु तुष्टायै:
नागबेल, लोबान, तिल के पत्ते, वचा, गडूची और तगर को जल में मिलाकर स्नान करने से राहु की पीड़ा शांत होती है।
केतुः सहदेवी च लज्जालु-बल-मुस्तप्रियंगव:
एतद्ययुक्त जलस्नानानात प्रसीदति सदा शिखो
सहदेई, लज्जालु(लोबान) बला, मोथा और प्रियंगु- हिंगोठ से मिश्रित जल से स्नान करने से केतु सदा प्रसन्न रहते हैं।
वैसे लाजवंती, छुईमुई, कूट खिल्लां, कांगनी, जौ, सरसों, लोध तथा हल्दी का चूर्ण बना कर रख लें। इन्हें तीर्थजल में मिला कर स्नान करने से सभी ग्रहों की शांति होती है तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- Advertisement -