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वैलेंटाइन वीक चल रहा है और 9 फरवरी का दिन चॉकलेट डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने चाहने वालों को चॉकलेट देते हैं और रिश्ते में मिठास भरते हैं। वैसे चॉकलेट चीज ही ऐसी है जो मुंह से घुलकर सीधे दिल में उतर जाती है और मन खुश कर देती है। चॉकलेट किसे पसंद नहीं, बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी इसे पसंद करते हैं। चॉकलेट अच्छी तो सबको लगती है, लेकिन क्या आप इसके बारे में जानते भी हैं कि ये कितनी पुरानी है और कहां से आई। आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।
प्राचीन मेसो अमेरिकन में तो इसे ‘देवताओं का खाना’ कहा गया है। ये मीठी-मीठी चॉकलेट अपने शुरुआती दौर में चॉकलेट का टेस्ट तीखा हुआ करता था। कोकोआ के बीजों को फर्मेंट करके रोस्ट करने के बाद इसे पीसा जाता था। इसके बाद इसमें पानी, वनीला, शहद, मिर्च और दूसरे मसाले डालकर इसे झागयुक्त पेय बनाया जाता था। उस समय ये शाही पेय हुआ करता था, लेकिन चॉकलेट को मिठास यूरोप पहुंचकर मिली। यूरोप में सबसे पहले स्पेन में चॉकलेट पहुंची थी। स्पेन का खोजी हर्नेन्डो कोर्टेस एजटेक के राजा मान्तेजुमा के दरबार में पहुंचा था जहां उसने पहली बार चॉकलेट को पेश किया।
चॉकलेट का इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि चॉकलेट बनाने वाला कोको पेड़ अमेरिका के जंगलों में सबसे पहले पाया गया था। हालांकि, अब अफ्रीका में दुनिया के 70% कोको की पूर्ति अकेले की जाती है। कहा जाता है चॉकलेट की शुरुआत मैक्सिको और मध्य अमेरिका के लोगों ने की था। 1528 में स्पेन ने मैक्सिको को अपने कब्जे में लिया पर जब राजा वापस स्पेन गया तो वो अपने साथ कोको के बीज और सामग्री ले गया। जल्द ही ये वहां के लोगों को पसंद आ गया और अमीर लोगों का पसंदीदा पेय बन गया।
सन् 1828 में डच केमिस्ट कॉनराड जोहान्स वान हॉटन ने कोको प्रेस का आविष्कार किया। यहीं से चॉकलेट का इतिहास बदल गया। इस मशीन की मदद से कोको बींस से कोको बटर को अलग करना मुमकिन हो पाया। इससे बनने वाले पाउडर से चॉकलेट बनी। कॉनराड ने अपनी इस मशीन के ज़रिए चॉकलेट एल्केलाइन सॉल्ट मिलाकर कड़वे स्वाद कम करने की कोशिश की। 1848 में ब्रिटिश चॉकलेट कंपनी जे.एस फ्राई एंड संस ने पहली बार कोको लिकर में कोको बटर और चीनी मिलाकर पहली बार खाने वाला चॉकलेट बनाया।
एक अध्ययन के अनुसार दो सप्ताह तक रोजाना डार्क चॉकलेट खाने से तनाव कम होता है। चॉकलेट खाने से तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन नियंत्रित होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार चॉकलेट में मौजूद कोको फ्लैवनॉल बढ़ती उम्र के लक्षणों को जल्दी नहीं आने देता है। वर्ष 2010 में हुए एक शोध से पता चला है कि यह ब्लड-प्रेशर को कम करता है। यूरोपीय सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के शोध में पाया गया है कि ज्यादा मात्रा में चॉकलेट खाकर दिल से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहा जा सकता है। एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार रोजाना हॉट चॉकलेट के दो कप पीने से वृद्ध लोगों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी सोचने की क्षमता भी तेज होती है।
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