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मैक्लोडगंज। निर्वासित तिब्बत सरकार के अध्यक्ष डॉ लोबसांग सांग्ये (Dr. Lobsang Sangye) ने कहा है कि तिब्बती समाज के अंदर जो लोकतंत्र (Democracy) है, वह धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) के संघर्ष के प्रयासों से ही मिला है। डॉ सांग्ये ने कहा चीन (China), विश्व में शांति की बात कर रहा है, यदि चीन वास्तव में शांति चाहता है तो दलाई लामा के दूतों से बातचीत करे और तिब्बत के लोगों को आजादी देने के रास्ते खोले। डॉ सांग्ये ने ये बात आज निर्वासित तिब्बती सरकार के लोकतंत्र के 60 वर्ष पूर्ण होने पर मैक्लोडगंज में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। इस दौरान दलाई लामा की ओर से तिब्बत की आजादी को लेकर अब तक उठाए गए कदमों को याद किया गया। साथ ही उनकी लंबी आयु की प्रार्थना भी की गई।
डॉ सांग्ये ने कहा दलाई लामा की ओर से किए अथक प्रयासों से आज हमें अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था मिली है। पिछले साठ वर्षों में निर्वासन की परिस्थिति, राजनीतिक, धर्म संस्कृति व भाषा संरक्षण व तिब्बत की आजादी को लेकर भारत देश ही नहीं बल्कि अन्य देशों ने जो कदम उठाए हैं, इसके लिए तिब्बती समुदाय (Tibetan community) उनका भी आभारी है। याद रहे कि 14वें दलाई लामा ने छोटी उम्र में तिब्बत के अध्यात्मिक नेता व प्रमुख के रूप में अपना उत्तरदायित्व संभाला था। तिब्बत में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के बाद उन्हें तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। भारत आने के बाद निर्वासित जीवन व्यतीत करते हुए दलाई लामा ने तिब्बत की राजनीतिक व्यवस्था को लोकतांत्रिक व्यवस्था में बदलने को लेकर कई कदम उठाएं।
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