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शास्त्री व भाषा अध्यापकों को TGT पदनाम देने को लेकर क्या बोले शिक्षा मंत्री- जानिए
Last Updated on March 27, 2021 by Deepak
शिमला। हिमाचल (Himachal) में द्वितीय राजभाषा संस्कृत के कार्यान्वयन और प्रचार-प्रसार के संदर्भ में आज यहां आयोजित संस्कृत भारती समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Govind Singh Thakur) ने कहा कि प्रदेश सरकार स्कूलों में कार्यरत शास्त्री व भाषा अध्यापकों (LT) को टीजीटी शास्त्री (TGT Shastri) व टीजीटी हिंदी पदनाम देने पर विचार कर रही है। शिक्षा मंत्री (Minister of Education) ने कहा कि राज्य सरकार ने संस्कृत को प्रदेश की दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा एक देव भाषा भी है। राज्य में संस्कृत का प्रचार-प्रसार कर हिमाचल प्रदेश को देश भर में संस्कृत भाषा का मॉडल राज्य बनाया जाएगा और इस दिशा में प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत के क्रियान्वयन के लिए संस्कृत विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती के सहयोग से संस्कृत विषय की पाठय पुस्तकें भी तैयार की जा रही हैं।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय (Sanskrit University) की स्थापना की जाएगी, जिसकी प्रक्रिया जारी है। संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कुछ स्थानों पर भूमि का निरीक्षण किया गया है और उपयुक्त स्थान निर्धारित होते ही विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए समिति भी गठित की गई है, जो इस संबंध में नियम व उप-नियम (बायलॉज) तैयार करेगी। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा शुभकरण सिंह, निदेशक भाषा कला एवं संस्कृत सुनील शर्मा व संस्कृत भारती के पदाधिकारी प्रो. ओंप्रकाश शर्मा, संजीव कुमार, सुनील दत्त, डॉ. मामराज पुंडीर व पवन मिश्रा सहित अन्य उपस्थित थे।