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Electronic Voting Machine Dispute : नई दिल्ली। हाल के चुनावों में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर हुए विवाद और शिकायतों को दूर करने के लिए चुनाव आयोग जल्द सभी पार्टियों के साथ बैठक करने जा रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने शनिवार को कहा कि आयोग का इरादा आने वाले चुनावों में ‘वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ का उपयोग कर चुनाव प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने तथा लोगों का भरोसा बढ़ाने का है। गौरतलब है कि वीवीपीएटी से एक पर्ची निकलती है, जिसे देखकर मतदाता यह सत्यापित करता है कि ईवीएम में उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है, जिसके नाम के आगे का उसने बटन दबाया है।
जैदी ने कहा, ‘हम जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक करेंगे, जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि हमारी ईवीएम हमारी प्रशासनिक एवं तकनीकी सुरक्षा प्रणाली के मुताबिक किस तरह से छेड़छाड़ से मुक्त और सुरक्षित हैं। उन्होंने ईवीएम के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के आरोपों के बारे में सवालों का जवाब देते हुए यह कहा। हाल ही में 16 विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मतदान पत्र (बैलेट पेपर) व्यवस्था की ओर लौटने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि ईवीएम में लोगों का विश्वास खत्म हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग की योजना इस सिलसिले में एक ‘चुनौती’ का आयोजन करने की है, जिसके समय को लेकर विचार किया जा रहा है। वहीं जैदी ने बताया, ‘वीवीपीएटी के लिए हमने धन प्राप्त कर लिया है। हमने दो सार्वजनिक उपक्रमों – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपारेशन ऑफ इंडिया को 15 लाख वीवीपीएटी की आपूर्ति को लेकर आर्डर दिया है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सितंबर 2018 तक करीब 15 लाख वीवीपीएटी मशीनें तैयार हो जाएंगी। आयोग का लक्ष्य सभी आगामी चुनावों में वीवीपीएटी का उपयोग करने का है।
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