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लेखराज धरटा/शिमला। आमजन की सविधाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं से भी लोग मजाक करने में पीछे नहीं रहते हैं। इन दोनों सेवाओं के लिए आने वाली फोन कॉल में से 50 फ़ोन कॉल इमरजेंसी की नहीं होती। इससे पता चलता है कि लोग इस निशुल्क सेवा के प्रति गंभीर नहीं है।
इस बात का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 1 जनवरी 2016 से 31 दिसबंर 2016 के बीच प्राप्त हुई फोन कॉल के दौरान 10 में से 5 फोन कॉल इमरजेंसी की नहीं थी। जीवीके ईएमआरआई द्वारा एक वक्तव्य में कहा गया है कि एक वर्ष के दौरान जी भी कॉल प्राप्त हुई उनमे से मात्र आधी ही कॉल इमरजेंसी की थी। जीवीके. ईएमआरआई के प्रदेश प्रभारी मेहुल सुकुमारन ने आमजन से अपील की है कि जनता 108 और 102 सेवा का उचित उपयोग करें। साथ ही कहा गया है कि इस सेवा को हल्के में लेने से किसी जरूरतमंद का नुकसान हो सकता है। याद रहे कि किसी भी स्थिति में 108 सेवा को कॉल पर बुलाया जा सकता है, जबकि 102 सेवा गर्भवती महिलाओं के लिए रहती है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि यहां भी आमजन गंभीर नहीं दिखता।
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