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टांडा प्रशासन ने छीना गरीबों के मुंह का निवाला, सांयकालीन लंगर पर लगाई रोक
Last Updated on January 17, 2020 by Deepak
कांगड़ा। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में लगने वाले सायंकालीन लंगर पर राजनीति शुरू हो गई है। गरीबों के मुंह का निवाला अस्पताल प्रशासन के गले में अटकने लगा है। पिछले छह माह से अस्पताल परिसर में धेनुम आश्रय सदनम ट्रस्ट (Dhenum Aashraya Sadanam Trust) के सौजन्य से सैकड़ों लोगों को परोसे जाने वाले सांयकालीन लंगर पर कॉलेज़ प्रशासन ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए इसे हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। गुरुवार शाम आयोजित 47वें लंगर के दौरान अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों ने लंगर हटाने का हुकम सुना दिया। जिस पर मौके पर मौजूद सैकड़ों लोगों ने ऐतराज जताया। हालांकि ट्रस्ट का लंगर खाद्य नियमों के अनुसार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 (Food Safety and Standards Act 2006) के तहत पंजीकृत है तथा उक्त संस्था का प्रमाण पत्र अस्पताल प्रशासन के पास जमा है। वहीं अस्पताल के डाईटिशियन द्वारा लंगर की देखरेख की जाती है।
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लोगों का कहना था कि यह लंगर तो गरीब तीमारदारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। लंगर पर अस्पताल प्रशासन की पाबंदी उनकी समझ से परे है। इस बारे में सुरक्षा इंचार्ज धर्म सिंह का कहना है कि चिकित्सा अधीक्षक से निर्देश मिले हैं कि अस्पताल परिसर में लंगर लगाने वालों को मना किया जाए। सिर्फ एक विशेष संस्था ही चाय, बिस्कुट, ब्रैड का लंगर लगा सकती है। वहीं इस बारे में टांडा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (Medical superintendent) एसएस भारद्वाज का कहना है कि नियमानुसार अस्पताल परिसर में कोई भी संस्था लंगर नहीं लगा सकती है, जिसने भी लंगर लगाना हो वो गेट के बाहर लंगर लगा सकता है, जिसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। ट्रस्ट को लंगर लगाने की मंजूरी गलती से दी गई है।
चिकित्सा अधीक्षक की मंजूरी के बाद शुरू किया था लंगर
बता दें कि कुछ समय पहले अस्पताल परिसर में आए कुछ गरीब तीमारदारों ने मुफ्त भोजन मुहैया कराने के लिए प्राधानाचार्य से अनुरोध किया था, जिसके चलते मरीजो़ं की मजबूरी को देखते हुए ट्रस्ट ने बाकायदा चिकित्सा अधीक्षक (Medical superintendent) से लिखित मंजूरी पाकर तीमारदीरों के लिए लंगर का संचालन शुरू कर दिया था। वहीं अस्पताल की साख में चार चांद लगाने वाला लंगर अब प्रशासन के हलक़ में अटकने लगा है। ट्रस्ट के संस्थापक अजय सहगल तथा अध्यक्ष बाल कृष्ण धीमान का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की एक विशेष संस्था को चाय, ब्रैड, बिस्कुट लंगर की सहमति तथा अन्य संस्थाओं द्वारा परोसे जाने वाले भोजन लंगर पर पाबंदी जैसा पक्षपाती फैसला किसी राजनीति से प्रेरित लगता है। अगर कॉलेज़ प्रशासन परिसर में लंगर के पक्ष में नहीं है तो अस्पताल में सभी प्रकार की लंगर सुविधाएं तत्काल प्रभाव से बंद की जाएं।