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OMG! सनावर के जंगलों में फेंक दी Expiry Date की दवाएं
Update: Sunday, January 28, 2018 @ 7:47 PM
दयाराम कश्यप/ सोलन। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सरकारी व निजी स्तर पर प्रयास होते रहते हैं पर उन लोगों को क्या कहें जो इसे दूषित करने के लिए इन सभी प्रयासों को ताक पर रख देते हैं। मामला कसौली का है, यहां पर सनावर के जंगल में ढेर सारी एक्सपायरी डेट की दवाइयां फेंकी गई है। जानकारी के अनुसार जो दवाएं यहां पर फेंकी गईं वह हरियाणा के करनाल में बनी हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि हिमाचल के किसी दवा के होलसेल विक्रेता के पास रखी ये दवाएं एक्सपायर्ड हो गई होंगी और उसने वैज्ञानिक ढंग से इसे डिस्पोज ऑफ करने के बजाय रात के अंधेरे में जंगल में ठिकाने लगा दिया।
क्या है डिस्पोज ऑफ करने की प्रक्रिया
एक्पायरी डेट की दवाइयों से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव न पड़ें। इसलिए इन्हें वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज ऑफ किया जाता है। यह कार्य इंसीनेटर की मदद से प्रदूषण बोर्ड की निगरानी में होता है, लेकिन कई फार्मा कंपनी दवा विक्रेता दवाइयों के डिस्पोज में आने वाले खर्च से बचने के लिए इसे खुले में ही फेंक देते हैं। एक्सपायरी डेट की दवाइयों के जंगल या फिर नालों में फेंकने से पर्यावरण में दूषित कैमिकल घुल जाता है। इसके बाद यह कैमिकल सिंचाई के माध्यम से फसलों व पेयजल स्रोत में घुल सकता है। इस प्रकार के पानी का सेवन करने से मनुष्य के शरीर में अवांछित प्रभाव पड़ने का खतरा बना रहता है। यही कारण है कि इस प्रकार की दवाइयों को डिस्पोज करने के लिए इतनी सख्ती बरती जाती है। बावजूद इसके दवा निर्माता कंपनी और एजेंसियां लोगों की सेहत को दरकिनार कर खुले में भी एक्सपायरी डेट की दवाइयां फेंक देते हैं।
दवाएं खुले में फेंकना दंडनीय अपराधः गुप्ता
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके गुप्ता ने कहा है कि एक्सपायरी डेट की दवाइयां इस तरह से खुले में फेंकना एक दंडनीय अपराध है। इन दवाइयों को वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज ऑफ़ किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि खुले में दवाइयों को फेंकने से जहां एक ओर पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है वहीं, जंगली जानवरों और वहां रह रही आबादी को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।