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ऐसा है “फागली” उत्सव
Last Updated on February 16, 2020 by Deepak
https://youtu.be/DHAJkYhQ9_s
हिमाचल प्रदेश की प्राचीनतम परम्पराए, मेले और त्यौहार यहां के सांस्कृतिक विरासत की पहचान है। कुल्लू जिला की तीर्थन घाटी में अनेक मेलों और धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है जो यहां की सांस्कृतिक समृद्धि को बखूबी दर्शाता है। तीर्थन घाटी के लगभग हर गांव में साल भर छोटे छोटे मेलों का आयोजन होता रहता है। ये मेले और त्यौहार यहां के लोगों के हर्ष उल्लास और खुशी का प्रतीक है। फाल्गुन मास की सक्रान्ति के आरम्भ होते ही तीर्थन घाटी के कई गांव में फागली मुखौटा नृत्य का आयोजन किया जाता है। कुछ गांव में यह फागली उत्सव एक दिन तथा कई गांव में दो और तीन दिनों तक यह त्यौहार धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यहां के लोग अपने ग्राम देवता पर अटूट आस्था रखते है। साल भर तक समय समय पर बर्षा,अच्छी फसल,सुख समृद्धि या बुरी आत्माओं को भगाने के लिए लोग अपने ग्राम देवता की पूजा अर्चना करते है। इसके पश्चात मेलों और त्योहारों का आयोजन करके भिन्न भिन्न लोकनृत्य पेश करके नाच गाना करते है।