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Shimla: किसान 31 जुलाई से पहले करवाएं टमाटर की फसल का बीमा, मिलेंगे ये लाभ
Last Updated on July 26, 2020 by Deepak
शिमला। चालू खरीफ मौसम में सरकार द्वारा इस वर्ष भी टमाटर की फसल (Tomato crop) को मौसम आधारित फसल बीमा योजना (Crop Insurance Policy) में शामिल किया गया है। योजना की जानकारी देते हुए कृषि सूचना अधिकारी डॉ. राकेश कुमार कौंडल ने बताया कि चालू खरीफ में ऋणी तथा गैर ऋणी किसानों द्वारा बीमा करवाने की अंतिम तिथि टमाटर के लिए 31 जुलाई निर्धारित की गई है। यह योजना गैर ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। योजना के अंतर्गत सभी ऋणी किसानों (Farmers) का वित्तिय संस्थाओं द्वारा स्वतः ही बीमा कर दिया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि इस योजना के अंतर्गत टमाटर को होने वाले नुकसान की जोखिम कवरेज की अवधि 1 अगस्त से 15 अक्तूबर तक निर्धारित की गई है। योजना का संचालन जिलावार विभिन्न बीमा कम्पनी (Insurance Company) द्वारा किया जायेगा तथा इसके लिए सभी चयनित जिलों में संदर्भ मौसम स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
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डॉ. राकेश कुमार कौंडल ने बताया कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना का उद्देश्य विभिन्न मौसम घटकों जैसे पाला, वर्षा, कम / अधिक तापमान आदि के प्रतिकूल घटनाक्रमों के प्रभावों से फसल पैदावार को संभावित हानि के परिणामस्वरूप किसान को होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई करना है। टमाटर के लिए प्रीमियम की दर बिलासपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर व सोलन जिला में क्रमशः 30.00, 29.00, 30.00, 30.00, 25.00, 20.00 व 16.80 प्रतिशत रखी गई है। सरकार ने किसानों के लिए प्रीमियम की दर बीमित राशि पर अधिकतम 5 प्रतिशत रखी है। इसके पश्चात जो अंतर आएगा शेष प्रीमियम राज्य व केंद्र सरकार 50: 50 के अनुपात में वहन करेगी। इस योजना के अंतर्गत बीमा करवाने हेतु जिला कुल्लु, मंडी, शिमला, सिरमौर, बिलासपुर, कांगड़ा के लिए स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया जनरल इंश्योरेंस कंपनी व सोलन के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपीनी को अधिकृत किया गया है। उन्होंने आगे जानकारी दी कि टमाटर के लिए बीमा राशि एक लाख रुपये प्रति हैक्टेअर निर्धारित की गई है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि फसलों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति करने हेतु अपनी टमाटर की फसल का 31 जुलाई से पहले-पहले बीमा करवाएं। इसके लिए वे अपने नजदीक की प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं, सहकारी बैंकों, ग्रामीण बैंकों तथा वाणिज्यिकी बैंकों से संपर्क करें व इस बारे में अपने नजदीक के कृषि प्रसार अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी व खंड स्तर पर तैनात कृषि अधिकारी का भी सहयोग ले सकते हैं।