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नई दिल्ली। पहली बार हाईकोर्ट के सिटिंग जज पर एफआईआर दर्ज होगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने ये अप्रत्याशित फैसला लिया। गोगोई ने सीबीआई को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के न्यायमूर्ति एन शुक्ला के खिलाफ एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए कथित तौर पर प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों का पक्ष लेने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज करने की मंजूरी दे दी है।
इससे तीस साल पहले शीर्ष अदालत ने 25 जुलाई, 1991 को किसी भी जांच एजेंसी को उच्चतम या उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायमूर्ति के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने से रोक दिया था और कहा गया था कि एजेंसी को मुख्य न्यायाधीश को मामले से जुड़े सबूत दिखाए बिना किसी सिटिंग जज के खिलाफ एफआईआर करने की मंजूरी दी जाएगी। 1991 से पहले किसी भी जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय के सिटिंग जज के खिलाफ जांच नहीं की है।
यह पहली बार है जब मुख्य न्यायाधीश ने सिटिंग जज के खिलाफ जांच एजेंसी को एफआईआर दर्ज करने की इजाजत दी है। सीबीआई (CBI) जल्द ही न्यायमूर्ति शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करेगी। माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। जांच एजेंसी ने मुख्य न्यायाधीश गोगोई को पत्र लिखकर उनसे मामले की जांच करने की इजाजत मांगी थी।
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