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अन्नदान भविष्य में आने वाले दुर्भाग्य को करता है दूर
Last Updated on February 29, 2020 by Deepak
हमारे शास्त्रों के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा दान अगर कुछ है तो वह है अन्नदान। यह संसार अन्न से ही बना है और अन्न की सहायता से ही इसकी रचनाओं का पालन हो रहा है। अन्न एकमात्र ऐसी वस्तु है जिससे शरीर के साथ-साथ आत्मा भी तृप्त होती हैं। माना जाता है कि किसी भी ज़रूरतमंद को अन्नदान करने से आपके जीवन में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी। बिना पके अन्न का दान करें तो उससे ज्यादा पुण्य मिलता है।
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अनाज के दान को हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दान बताया गया है। भूखों को भोजन खिलाने से हमारे पितृ देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। यह दान हमारे भविष्य में आने वाले दुर्भाग्य को दूर करने में सहायता करता है। शास्त्रों के अनुसार अगर सबसे बड़ा दान कोई है तो वो अन्न दान है। यह संसार अन्न से ही बना है और अन्न की सहायता से ही इसकी रचनाओं का पालन हो रहा है। अन्न एकमात्र ऐसी वस्तु है जिससे शरीर के साथ-साथ आत्मा भी तृप्त होती है। इसलिए कहा गया है कि अगर कुछ दान करना ही है तो अन्नदान करो। अन्नदान करने से बहुत लाभ होता है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं …
सभी शास्त्रों में जितने दान और व्रत कहे गए हैं, उनकी तुलना में अन्नदान सबसे श्रेष्ठ है। इस संसार का मूल अन्न है, प्राण का मूल अन्न है। यह अन्न अमृत बनकर मुक्ति देता है।
सात धातुएं अन्न से ही पैदा होती हैं, यह अन्न जगत का उपकार करता है इसलिए अन्न का दान करना चाहिए।
इन्द्र आदि देवता भी अन्न की उपासना करते हैं, वेद में अन्न को ब्रह्मा कहा गया है। सुख की कामना से ऋषियों ने पहले अन्न का ही दान किया था। इस दान से उन्हें तार्किक और पारलौकिक सुख मिला।
जो श्रद्धालु विधि-विधान से अन्नदान करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
वस्त्र दान –
जो व्यक्ति वस्त्रों का दान करता है उसको जीवन में कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। वस्त्र दान करते समय ध्यान रहे की फटे पुराने वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए। जिस स्तर के कपड़े आप खुद पहनते हैं उसी स्तर के कपड़े दान मिओं दें। अमावस्या पर अपने पितरो की याद में खीर और एक मिठाई सहित भोजन बनाना चाहिए फिर एक अच्छे ब्राह्मण को घर पर बुलाकर, उनकी खातिरदारी कर अच्छे से प्रेम से भोजन कराये और फिर उनके चरण स्पर्श कर उन्हें दक्षिणा में पांच कपडे और सामर्थ्य अनुसार रुपये देने चाहिए।
किसी भी अमावस्या के दिन दान-पुण्य से पितृ दोष दूर होंने के साथ साथ केतु और शनि की पीड़ा से भी मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन मूल नक्षत्र पड़ने के कारण यह तिथि काफी असरकारक हो जाती है। इस दिन किए गए उपाय बहुत ही प्रभावी होते हैं।
वैदिक ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह माना गया है लेकिन जिन जातकों की जन्म कुंडली में शानि मजबूत होता है उनको यह अच्छे परिणाम देता है।
अमावस्या के दिन नीली, काली वस्तुओं का दान शुभ रहता हैं। यदि इस दिन इन वस्तुओं का दान किया जाए तो उस दिन जिस भी देवता को माना गया है उसका आशीर्वाद प्राप्त होता है और बुरी शक्तियां निकट आने से डरती हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि कमजोर दिल वालों को ये शक्तियां ज्यादा प्रभावित करती हैं। इसका संबंध चंद्रमा की रोशनी से भी है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्वार भाटा से भी।
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितृ तर्पण स्नानदान आदि करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। इस दिन अनेक छूटे हुए कार्यों को भी पूर्ण किया जा सकता है।
अमावस्या पर क्या उपाय करें ताकि आपके जीवन से भी शनिदेव समस्याओं को खत्म कर दें। इन उपायों से आपके जीवन से आर्थिक संकट समाप्त होंगे, जीवन में तरक्की होगी।
वैवाहिक, दांपत्य जीवन, प्रेम प्रसंग में लाभ होता है। भूमि, भवन, वाहन संपत्ति सुख प्राप्त होता है।
मूल नक्षत्र के स्वामी केतु है। अमावस्या तिथि भी राहु और केतु के प्रभाव के कारण मानी जाती है। ऐसे में केतु और शनि की शांति के लिए इस दिन पका अन्न दान किया जा सकता है। इसके अलावा पितृ दोष का निवारण भी किया जा सकता है।
सामान्य गृहस्थ पकी हुई काली उड़द और पके चावल का दान करें। इससे उनको लाभ होगा। इसके साथ ही पितृ दोष का पूजन भी किया जा सकता है। इसके लिए पत्तल पर जौ, चावल, काले तिल, खीर और नींबू को रखकर पीपल के वृक्ष के नीचे दोपहर में रखना होगा। इससे पितृ दोष खत्म हो जाएगा।
हर सक्षम व्यक्ति को सूर्य संक्रांति, सूर्य व चंद्र ग्रहण, अधिक मास व कार्तिक शुक्ल द्वादशी को अन्न व जल का दान अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष में मूल रूप से नव ग्रहों की विभिन्न प्रकृति होती है।
हर ग्रह का एक मूल स्वभाव है और उसी अनुरूप दान करना चाहिए। सूर्य देव उपवास, कथा श्रवण व नमक के परित्याग से, चंद्र भगवान शिव के मंत्रों के जाप से, मंगल ग्रह उपवास के अलावा मंत्रजाप से, तो बुध ग्रह गणपति की आराधना के साथ दान से सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं। देव गुरु सात्विक रूप से उपवास रखने मात्र से प्रसन्न होते हैं।
दैत्य गुरु शुक्र गौ सेवा और दान व कन्याओं को उपहार देने से प्रसन्न होते हैं। न्याय के देवता शनि महाराज को मनाने के लिए जप, तप, उपवास व दान के अलावा शुद्ध व सात्विक जीवन शैली होनी चाहिए। छाया ग्रह राहु व केतु जाप के साथ दान से ही प्रसन्न होते हैं। दान के समय जातक को प्रसन्न मन और आनंद के साथ व्यवहार करना चाहिए।
विशेष आवश्यकताओं के लिए दान करें –
स्वास्थ्य और आयु की समस्या के लिए : अन्न और जल का दान करें।
रोजगार की प्राप्ति के लिए : प्रकाश का दान करें (तुलसी के नीचे या मंदिर में दीपक जलाएं)।
शीघ्र विवाह के लिए : सुहाग की वस्तुओं का दान करें।
मुकदमे में विजय के लिए : मीठी वस्तु (मिठाई) का दान करें।
संतान प्राप्ति के लिए : वृक्ष लगाएं और नियमित जल दान करें (जल डालें)।
दुर्घटना से रक्षा के लिए : काले तिल का दान करें।