- Advertisement -
गंजाम। ओडिशा (Odisha) के जिला से मनवता को शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है। यहां एक त्वचा रोग (Skin Diseases) से जूझ रहे सात साल के बच्चे को गांव में दोबारा स्वीकार करने के लिए उसका जबरन (Forcibly) शुद्धिकरण करवाया गया। यही नहीं, जो गांव (Village) वाले बच्चे को गांव में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे उन्होंने शुद्धिकरण के नाम पर बच्चे के परिजनों को सामुदायिक दावत देने के लिए कहा। शुद्धिकरण (Purification) और सामुदायिक दावत (Community Feast) के नाम पर बच्चे के परिजनों से दस हजार रुपए भी खर्च करवाए गए। मामला सामने आने के बाद अब जिला के कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
जानकारी के अनुसार ओडिशा के गंजाम जिला में बघुआ गांव में एक दलित परिवार को गांववासियों ने इसलिए परेशान किया क्योंकि उनके सात साल के बच्चे को जन्म से ही एक त्वचा संबंधी रोग है। गांव के लोग अंधविश्वासी हैं। इसलिए गांव वालों ने परिवार को कहा कि गांव में बच्चे को तभी फिर से स्वीकार किया जाएगा जब शुद्धिकरण होगा। शुद्धिकरण के साथ ही लोगों को भोज पर भी आमंत्रित करना होगा। अंधविश्वास के कारण अन्य गांववासियों का कहना था कि ये त्वचा रोग अन्य लोगों को भी हो सकता है।
मामला सामने आया तो अब इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। गंजाम जिले के कलेक्टर विजय अमृता कुलंगे ने बताया कि परिवार ने एसडीएम से मुलाक़ात की है और पीड़ित परिवार को दस हजार रुपए की मदद भी दे दी गई है। अमृता कुलंगे ने बताया कि पूरी घटना की जांच तहसीलदार करेंगे। इस खबर के सामने आने के बाद अच्छी बात यह हुई कि ओडिशा के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर बिभूति भूषण नाइक इस बच्चे की मदद करने का वादा किया है। विभूति भूषण ने कहा कि अगर बच्चे को एससीबी अस्पताल लाया जाएगा तो बच्चे का फ्री इलाज करेंगे।
- Advertisement -