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कुल्लू। फोरलेन प्रभावितों ने सीएम जयराम ठाकुर के प्रस्तावित कुल्लू दौरे के दौरान चार गुणा मुआवजे और पुर्नस्थापन व पुर्नवास के मुद्दे पर सीएम से चर्चा करने का फैसला लिया है। चर्चा के बाद आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। यह निर्णय आज फोरलेन संघर्ष समिति की बैठक में लिया गया। यह बैठक संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कुल्लू में फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक को संबोधित करते हुए खुशाल ठाकुर ने कहा कि सरकार व नेशनल अथॉरिटी द्वारा जानबूझकर तानाशाही ढंग से अवमानना व अवेहलना करने के रवैये से भड़का रोष कम होने की बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
ठाकुर ने कहा कि नागचला से मनाली तक के क्षेत्र में प्रभावितों को पुर्नस्थापन व पुर्नवास के कानूनी प्रावधान पर अमल के बिना गैर कानूनी ढंग से जमीन आदि परिसंपत्तियां 60 दिन में खाली करने को नोटिस थमाकर जबरन कब्जा लेने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने 1 अपैल 2015 को पूरे प्रदेश के ग्रामीणों के लिए फेक्टर एक की अधिसूचना करके भू-अधिग्रहण कानून 2013 की अवहेलना की है, क्योंकि भू- अधिग्रहण कानून 2013 में ग्रामीण क्षेत्रों में फेक्टर एक नहीं बल्कि दो तय करने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव की ओर से प्रदेशों को लिखे पत्र में मुंबई हाईकोर्ट के फैसले जिसमें फेक्टर एक नहीं बल्कि एक से दो तय करने को मानने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन, प्रदेश सरकार फिर भी इसकी अवहेलना कर फेक्टर एक ही लागू कर रही है, जो कि पूर्णतया अवैध है। जबकि गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड व बिहार जैसे बीजेपी शासित राज्य फेक्टर दो दे रहे हैं। इसलिए प्रदेश की बीजेपी सरकार को बीजेपी के विजन डॉक्यूमेंट में किए फेक्टर दो के वादे के अनुसार कानूनों का पालन करते हुए एक अप्रैल 2015 की ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फेक्टर एक की अवैध अधिसूचना को रद करके एक जनवरी 2015 के बाद हुई प्रक्रिया पर फेक्टर दो को लागू करना चाहिए।
फोरलेन संघर्ष समिति के महासचिव ब्रजेश महंत ने बताया कि पूरे क्षेत्र में मकानों का मुआवजा लोक निर्माण विभाग की वर्तमान दरों के बजाय 2014 की दरों पर अलग-अलग ढंग से तय किया जा रहा है, जिससे प्रभावितों को भारी हानि हो रही है, यही नहीं कुल्लू जिले के सभी मुहालों व मंडी जिले के कुछ क्षेत्रों में मकानों के अवॉर्ड में 12 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज दिया जा रहा है। वहीं, अब नए होने वाले अवार्डस में ब्याज देना बंद कर दिया गया है, जिससे प्रभावितों को करोड़ों की चपत लग रही है।
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