-
Advertisement
#Himachal में वन विभाग लोगों को बांटेगा गुलेल, क्या बोले वन मंत्री- जानिए
Last Updated on October 8, 2020 by Vishal Rana
शिमला। वन मंत्री राकेश पठानिया (Forest Minister Rakesh Pathania) ने विभागीय अधिकारियां को निर्देश दिए हैं कि बंदरों (Monkeys) की समस्या को लेकर जागरुकता कार्यक्रम में तेजी लाई जाए तथा स्थानीय लोगों को समस्या से निजात पाने के लिए पैम्फलेट के माध्यम से जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि जहां वानरों की संख्या अधिक है, वहां वन विभाग (Forest Department) स्थानीय लोगों को गुलेल आदि भी बांटेगा। राकेश पठानिया ने शिमला में बंदरों की समस्या के निवारण के लिए एक विशिष्ट हेल्पलाइन नंबर 1800-4194575 का ऑनलाइन (Online) उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि लोगों की वन्य प्राणियों से संबंधित समस्याओं को तुरन्त विभाग तक पहुंचाने के लिए इस टॉल फ्री नंबर की सुविधा आरंभ की गई है। शिमला के टूटीकंडी बचाव और पुनर्वास केंद्र में इसका नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वयं भी लोगों की शिकायतों का डैशबोर्ड पर निरीक्षण करेंगे।
यह भी पढ़ें: Trout Fish का अवैध शिकार करते सात लोग पकड़े, 13,500 रुपए जुर्माना वसूला
जिले की सराहन पक्षीशाला के दारनघाटी वन्य प्राणी शरण्यस्थल की सराहन वन्य प्राणी बीट के सरखान क्षेत्र में आज जुजुराणा पक्षी के दो व्यस्क जोड़ों को चूज़ों सहित सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ा गया। वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने आज यहां से ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उल्लेखनीय है कि जुजुराणा (वेस्ट्रन ट्रैगोपान) को वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ( IUCN) की लाल सूची में दर्ज एक विलुप्त होने के कगार पर खड़ा एक हिमालयी फीजेंट है। विश्व में जुजुराणा का जंगल में सफल पुनर्स्थापित का यह पहला प्रयास है।
यह भी पढ़ें: Himachal के बर्फानी तेंदुए, सांप सहित इन वन्य जीवों के अस्तित्व पर खतरा- जानने को पढ़ें खबर
वन मंत्री ने बताया कि सराहन स्थित पक्षीशाला में जुजुराणा के संरक्षित प्रजनन की योजना कार्यान्वित की जा रही है। अक्टूबर 2019 में जडगी में जुजुराणा के संरक्षित प्रजनन के लिए छह प्रजनन युग्मों को रखा गया। पिछले कुछ वर्षां में व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक प्रबंधन से सराहन पक्षीशाला में जुजुराणा की 46 पक्षियों की स्वस्थ व सक्षम आबादी स्थापित की जा चुकी है। प्रधान मुख्य अरण्यपाल, वन्य प्राणी एवं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अर्चना शर्मा ने जानकारी दी कि सरखान क्षेत्र को र्निगमन के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया। इस क्षेत्र में रहने वाले प्राकृतिक पराभक्षियों के बारे में अनुश्रवण व विश्लेशण किया गया, ताकि जहां ये पक्षी छोड़े जा रहे हैं, वहां पराभक्षी कम या लगभग ना के बराबर हों। अर्चना शर्मा ने कहा कि जुजुराणा पक्षी से पूर्व वर्ष 2019 में सोलन जिले के चायल के सेरी गांव में चैहड़ पक्षी को भी सफलतापूर्वक जंगल में पुनर्स्थापित किया गया है।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group