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धर्मशाला। पूर्व मंत्री और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी सचिव सुधीर शर्मा (Former minister Sudhir Sharma) ने कृषि बिल को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार मक्की का एमएसपी 1,850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन प्रदेश के किसानों से कोई भी सरकारी एजेंसी मक्की की खरीद नहीं कर रही है। परिणामस्वरूप किसानों को मजबूरी में अपनी फसल 800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है। क्या यही है कृषि बिल (Agriculture Bill) है। प्रदेश में खरीफ की प्रमुख फसल मक्की है, लेकिन सरकार की नजरों में ना तो यह फसल मायने रखती है ना किसान।
उन्होंने कहा कि पहले तो प्रदेश के लोगों ने कोरोना काल में बमुश्किल खेती-बाड़ी कर खाद्यान्न का उत्पादन किया, लेकिन अब जब उनकी फसल तैयार होकर बाजार में आ रही है तो उन्हें अपनी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है। प्रदेश के किसानों को मक्की व धान का वाजिब दाम तक नहीं मिल रहा। जिस किसान बिल को केंद्र व राज्य सरकार (State Government) किसान हितैषी बता रही है, उसके शुरुआती परिणामों से पता चल रहा है कि किसान बिल के दूरगामी परिणाम क्या होंगे।
इसके लिए तो पूंजीपति व्यापारी खास हैं तभी तो सरकार द्वारा अभी तक कोई खरीद केंद्र तक स्थापित नहीं किया गया, जबकि व्यपारी गांव-गांव पहुंच कर औने-पौने दामों पर किसानों की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं। लॉकडाउन ने फैक्ट्रियों पर तालाबंदी करवा दी, जिस कारण बाहरी व्यापारी नहीं आ रहे हैं। किसानों की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर स्थानीय व्यापारियों द्वारा कम कीमत पर स्टाक किया जा रहा है और सरकार मूकदर्शक बन कर तमाशा देख रही है। एक किसान को एक क्विंटल मक्की का उत्पादन करने के लिए 1500-1600 रुपये की लागत आती है, जबकि उसे एक क्विंटल के बदले 800-900 रुपये से उपर दाम नहीं मिल रहा। प्रदेश सरकार ने यदि इस दिशा में जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया तो प्रदेश कांग्रेस (Congress) प्रदेश के किसानों को साथ लेकर किसी भी हद तक जाने से परहेज़ नहीं करेगी।
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