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Cyber crime में लिप्त चार बदमाश Arrest, जानिए किस तरह लोगों को ठग कर खाते से उड़ाते थे पैसे
Last Updated on February 5, 2020 by
हमीरपुर। जिला पुलिस ने चार बदमाशों साइबर अपराधियों को गिरफ़्तार करने में सफलता हासिल की है। एसपी हमीरपुर अर्जित सेन ठाकुर ने बताया कि एक गैंग कई साइबर ठग अपराध में लिप्त थी जिसके चार सदस्यों को गिरफ्तार (Arrest) कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पूछताछ में आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं। इस गैंग में शामिल और लोगों को भी पुलिस शीघ्र गिरफ़्तार करेगी। पुलिस ने इन आरोपियों से अब तक कुल 11 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 2 पैन कार्ड, एक एप्सन कलर प्रिंटर, एक स्कॉर्पियो वाहन आदि जब्त किया है। उन्होंने बताया कि इन लोगों द्वारा एक नए तरीके से साइबर अपराध का अंजाम दिया रहा था। ये लोग गूगल द्वारा एक फेक लिंक भेजकर अंजान लोगों को फंसाते हैं और उनके बैंक खाता और एटीएम डेबिट कार्ड के गुप्त जानकारी ले कर ऑनलाइन खरीदारी और पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं।
जानकारी के अनुसार हमीरपुर (Hamirpur) के बड़सर थाना में 14,62,300 रुपए की ऑनलाइन ठगी की एक शिकायत पर 2019 में दर्ज हुई थी। इस मामले की गहनता से जांच शुरू हुई तो पुलिस ने चार आरोपी ठगों संदीप आर्यन, माणिक चंद, तौसीफ अहमद और विकास कुमार को गिरफ़्तार करने में कामयाबी हासिल की। संदीप और माणिक चंद नाम के दो लोगों को पहले हैदराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। संदीप कुमार के पूछताछ के अनुसार, तौसीफ अहमद को नकली वेब साइट्स Flipkartwinprize.in तैयार करने के लिए कहा था। जिसने आगे विकस को इन वेबसाइटों को तैयार करने के लिए कहा। विकास ने संदीप के लिए 23 फर्जी वेब साइट तैयार की हैं और उनका इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए कर रहे थे। ये शातिर आरोपी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, अमेजन होमशॉप-18, नापतोल, यूनीग्लोब, क्लब फैक्ट्री, शॉप क्लूज आदि के ग्राहकों का डाटा बेस हासिल करते थे।
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इन्होंने टोल फ्री नंबर सर्विस और बल्क एसएमएस सेवाओं (SMS services) की खरीद की और ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्राहकों को नियमित रूप से कॉल किया करते थे। सबसे पहले इन्होंने ग्राहक को Bulk एसएमएस भेजते थे और एसएमएस में उल्लेख किया करते थे कि आपने टाटा सफारी , टाटा नेक्सॉन कार या नकद राशि जैसे पुरस्कार जीते हैं। इसके बाद वे उसी ग्राहक को फोन करते थे और उनको उनके नाम से पुकारते थे और उन्हें एक विकल्प चुनने को भी कहते थे। जब ग्राहक पुरस्कार राशि या वाहन लेने के लिए सहमत होते थे तो उनसे कहते थे कि आप पंजीकरण शुल्क को जमा करें 5500 या 6500। जीएसटी, आयकर, उपहार, कर आदि नाम पर उक्त आरोपी लोगों से बैंक खाते में पैसे जमा करवाते थे।