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चड़ी के स्वतंत्रता सेनानी रतन सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
Last Updated on January 11, 2020 by saroj patrwal
शाहपुर। विधानसभा (Vidhan Sabha) क्षेत्र के गांव चड़ी के स्वतंत्रता सेनानी व शतकवीर रतन सिंह उर्फ माधो राम का निधन हो गया। स्वतंत्रता सेनानी रतन चंद का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। रतन चंद के इकलौते बेटे अमरीक सिंह के अस्वस्थ होने के चलते उनके पोते साहिल ठाकुर ने मुखाग्नि दी। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सरवीण चौधरी (Cabinet Minister Sarveen Chaudhary), पूर्व कैबिनेट मंत्री मेजर विजय सिंह मानकोटिया, शाहपुर के एसडीएम जगन सिंह ठाकुर व डीएसपी सुनील राणा भी श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। भारतीय सेना की 16वीं पंजाब बटालियन (Punjab Battalion) की अगुवाई में स्वतंत्रता सेनानी रतन सिंह को सैनिक सम्मान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की और पुलिस (Police) की ओर से उन्हें सलामी देकर अंतिम विदाई दी गई।
सीएम जयराम ठाकुर ने स्वतंत्रता सेनानी रतन सिंह उर्फ माधो राम के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
शाहपुर विधानसभा से सम्बंध रखने वाले स्वतंत्रता सैनानी रतन चंद जी के देहांत का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित आजाद हिंद फौज में वीर सैनिक के तौर पर आपने अपनी सेवाएं दी थी।
ईश्वर इनकी आत्मा को शांति दें व परिवार जनों को इस दुःख को सहन करने का बल दें ।— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) January 11, 2020
कौन थे स्वतंत्रता सेनानी रतन सिंह
रतन सिंह वो शख्सियत थीं, जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) द्वारा गठित आजाद हिंद फौज में एक वीर सैनिक के तौर पर अपनी सेवाएं देकर स्वतंत्रता सेनानी का तमगा हासिल किया था। रतन सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ रंगून की जेल में कैदी बनकर भी रहे थे, जिन्हें कुछ अरसा एक दूसरे के साथ खान-पान और एक दूसरे को समझने का मौका भी मिला था।
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नेताजी के बेहद करीबी होने के चलते उनके दिल में भी देश के स्वराज के लिए ठीक उसी तरह तड़प थी, जिस कदर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दिलो-दिमाग में थी। हालांकि टोकियो जाते वक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी फौज़ को भंग कर सभी सिपाहियों को अपनी-अपनी राह पर जाने का हुकम सुना दिया था। बावजूद इसके देश की आजादी की लौ अपने दिल में लिए हुए कई देशों की यात्रा के बाद रतन चंद स्वदेश तो लौटे लेकिन तब तक देश की आजादी के लिए निस्वार्थ भाव से लड़ते रहे, जब तक की देश आजाद नहीं हो गया। रतन चंद अप्रैल 2016 में शतकवीर बने थे यानी सौ साल के पूरे हुए थे। उन्हें बतौर शतकवीर विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के मतदाता होने का भी गौरव हासिल था।