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धर्मशाला। नगर निगम धर्मशाला में डंपिंग जोन के अभाव में कूड़े को कुणाल पत्थरी सड़क के किनारे जंगल में फेंक कर स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) को पलीता लगाया जा रहा है। इस वजह से सड़क के किनारे फैली बदबू से आने-जाने वाले लोगों व पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्वच्छता अभियान के नाम पर सरकारी बजट पानी की तरह बहाया जा रहा है, इसके बाद भी स्मार्ट सिटी धर्मशाला (Smart City Dharamshala) की तस्वीर नहीं बदल पा रही है। इसके लिए जहां धर्मशाला नगर निगम जिम्मेदार है, वहीं आम लोग भी इस अभियान के प्रति संवेदनशील नहीं बन पाए हैं।
शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्र करने की योजना शुरू तो हुई, लेकिन यह भी सफल नहीं हो पा रही है। धर्मशाला नगर निगम (Dharamshala Municipal Corporation) ने शहर को साफ़-सुथरा रखने के लिए सेव धर्मशाला प्रोजेक्ट के तहत इसका जिम्मा एक एनजीओ वेस्ट वारियर्स को सौंपा है। वेस्ट वारियर्स एनजीओ के वालंटियर सुबह कूड़ा एकत्रित करने वाली गाड़ी के साथ-साथ चल कर लोगों को गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग डस्टबिन में देने का आग्रह करते हैं बावजूद इसके स्थानीय लोग कूड़े को लिफाफों में डालकर जंगल में फेंक रहे हैं।
एनजीटी व पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (NGT and Pollution Control Board) के आदेशों की धज्जियां उड़ रहीं हैं लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते निगम के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। धर्मशाला शहर के कूड़े के निष्पादन की उचित व्यवस्था न होने के कारण कूड़े को सीधे खुले में कुणाल पत्थरी की सड़क के किनारे जंगल में फेंका जा रहा है। इस तरह खुले में उड़ेले जाने वाला कूड़ा यहां से गुजरने वालों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। यहां पर जंगली जानवरों व आसपास गांव के मवेशियों का जमावड़ा भी दिक्कतें बढ़ा रहा है।
17 वार्डों वाले इस नगर निगम में न तो व्यवस्थित डंपिंग जोन है और न ही कूड़े के निष्पादन की उचित व्यवस्था जिससे नगर की आबोहवा व वातावरण खराब हो रहा है। धर्मशाला शहर का कूड़ा इस क्षेत्र के सटे जंगलों और नालों में फेंका जा रहा है। वार्डों में कचरे का आलम कुछ ऐसा है कि यह नालों के जरिए पूरे वन क्षेत्र में फैला हुआ है। जंगलों को साफ रखने का जिम्मा न वन-विभाग और न ही प्रशासन उठा रहा है। हालांकि वन-विभाग ने अपना एक बोर्ड लगाकर ये जरूर लिख दिया है कि यहां कूड़ा-कचरा फैलाना मना है, लेकिन इसकी देखभाल करने में विभाग की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है, क्योंकि कचरे से यहां के जंगलों को नुकसान हो रहा है।
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