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Generic medicines: धर्मशाला। सरकार ने डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां लिखने के निर्देश तो दे दिए हैं लेकिन यह बताना भूल गई कि मरीज यह जेनेरिक दवाइयां लेंगे कहां से। इस बारे में सरकार और स्वास्थ्य विभाग दोनों ढुलमुल रवैया अपनाए हुए हैं। जिला कांगड़ा में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। जिला के सिर्फ दो ही अस्पतालों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाने वाले जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा और जोनल अस्पताल धर्मशाला, इन दो ही अस्पतालों में यह केंद्र हैं। इससे सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले गरीब तबके के मरीजों को मजबूरन महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।
जन औषधि केंद्रों में मरीजों को जेनेरिक दवाइयां सस्ती और डिस्काउंट पर मिलती हैं। ऐसा नहीं है कि निजी मेडिकल स्टोर्स पर जेनेरिक दवाइयां नहीं मिलती पर वहां पर मरीज से दवाई के पूरे पूरे दाम वसूले जाते हैं। किसी तरह का डिस्काउंट भी मरीज को नहीं दिया जाता है। वहीं कुछ मामलों में डॉक्टर पर्ची पर जेनेरिक दवाई उपलब्ध न होने के चलते मरीजों को महंगी दवाई लिख रहे हैं। जिससे मरीजों को भी मजबूरन महंगी दवाई लेनी पड़ती है।
यदि पर्याप्त संख्या में जन औषधि केंद्र खुलें तो गरीब वर्ग से संबंधित मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। जेनेरिक दवाइयों का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन चुका है। सांसद शांता कुमार भी इस मुद्दे को कई बार प्रदेश और केंद्र सरकार के सम्मुख उठा चुके हैं। बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने भी शांता कुमार के इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की थी। अब स्वास्थ्य विभाग और सरकार को भी इस मुद्दे पर गम्भीरता दिखानी चाहिए और अधिक स्थानों पर जन औषधि केंद्र खोले जाने चाहिए।
इस बारे में सीएमओ कांगड़ा डॉ. आरएस राणा का कहना है कि जिला कांगड़ा में अभी तक दो अस्पतालों में ही जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जिला के अन्य अस्पतालों में भी जन औषधि केंद्र खोले जाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उनका कहना है कि पालमपुर अस्पताल में निकट भविष्य में जन औषधि केंद्र खोला जा सकता है।
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