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‘गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी’ Dr. SI Padmavati नहीं रहीं, कोविड-19 के कारण गई जान
Last Updated on August 31, 2020 by
नई दिल्ली। कोरोना काल में भारत ने कई दिग्गज खोए हैं उनमें अब एक और नाम जुड़ गया है। भारत की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट (हृदयरोग विशेषज्ञ) डॉक्टर एसआई पद्मावती (Dr. SI Padmavati) का 103 साल की उम्र में कोविड-19 के कारण निधन हो गया। पद्मावती को नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (NHI) में 11 दिन पहले भर्ती कराया गया था। अस्पताल के सीईओ डॉक्टर ओपी यादव ने कहा कि डॉ. पद्मावती के दोनों फेफड़ों में गंभीर संक्रमण हो गया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई।
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डॉ. पद्मावती का अंतिम संस्कार पश्चिमी दिल्ली (West delhi) के पंजाबी बाग शमशान घाट में किया गया। महान हृदय रोग विशेषज्ञ ने अपने आखिरी दिनों तक एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीया। 2015 के अंत तक वे दिन में 12 घंटे, सप्ताह में पांच दिन एनएचआई में काम कर रही थीं। 1981 में उन्होंने एनएचआई की स्थापना की थी। उनके योगदान के कारण ही उन्हें ‘गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी’ की उपाधि दी गई थी। उन्होंने 1954 में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में उत्तर भारत की पहली कार्डिएक कैथीटेराइजेशन प्रयोगशाला (Cardiac catheterization laboratory) स्थापित की थी।
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1967 में उन्होंने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के निदेशक-प्राचार्य के रूप में पदभार संभाला और इरविन और जी बी पंत अस्पतालों से भी जुड़ीं। यहीं पर उन्होंने कार्डियोलॉजी में पहला डीएम कोर्स, पहली कोरोनरी केयर यूनिट और भारत में पहली कोरोनरी केयर वैन की शुरुआत की। डॉ. एस पद्मावती ने 1962 में ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन और 1981 में नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना की। उन्हें भारत सरकार ने 1967 में पद्म भूषण और 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।