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Gold Hallmarking:आज से पुराने सोने पर क्या होगा असर-बेहद जरूरी है पढ़े एक क्लिक पर
कोरोना काल में ये खबर आपके लिए बेहद काम की हो सकती है। चूंकि आज से गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewelry)की हॉलमार्किंग (Mandatory)अनिवार्य हो गई है। सरकार ने नवंबर 2019 में गोल्ड ज्वैलरी और डिजाइन के लिए हॉलमार्किंग (Hallmarking)अनिवार्य किया था। इसके लिए रजिस्ट्रेरशन करवाने को एक साल से ज्यादा का समय दिया गया था। ज्वैलर्स ने (Jewelers)इस डेडलाइन को बढाने की मांग की थी। इसके बाद पहले डेडलाइन 15 जनवरी, पहली जून और बाद में इसे बढाकर 15 जून किया गया।
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यानी आज से गोल्ड हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में अगर आप सोना खरीदना चाह रहे हैं तो आज से आपको हॉलमार्क का ही सोना मिलेगा। हॉलमार्क सोने की खासियत यह है कि उस पर लिखा होता है कि ये सोना कितने कैरेट का है। इसके अलावा ज्वैलरी पर यह भी दर्ज किया जाता है कि ज्वैलरी में कितना प्रतिशत सोना है। सरकार (Government) की ओर से जारी आदेशों के मुताबिक सभी ज्वैलर्स को सोने के गहने या कलाकृति बेचने के लिए बीआईएस स्टैंडर्ड (BIS Standard) के मानकों को पूरा करना होगा। ये मानक 14 कैरेटए 18 कैरेट और 22 कैरेट शुद्धता के साथ होंगे। हर कैरेट के सोने के लिए हॉलमार्क नंबर अंकित किए जाते हैं। ज्वैलर्स की ओर से 22 कैरेट के लिए 916 नंबर का इस्तेमाल किया जाता है तो वहीं 18 कैरेट के लिए 750 नंबर का इस्तेमाल करते हैं जबकि 14 कैरेट के लिए 585 नंबर का उपयोग किया जाता है।
हॉलमार्क में दिए गए नंबर से पता चल जाता है कि किस ज्वैलरी में कितना प्रतिशत सोना इस्तेमाल हुआ है। यानी किसी ज्वैलरी पर 750 लिखा है उसका मतलब होता है कि गहनों में 75 फीसदी सोने का इस्तेमाल किया गया है। बाकी बचे प्रतिशत ज्वेलरी बनाने के दौरान अन्य धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है।